नैनो टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में कॅरियर
विज्ञान और प्रौद्योगिकी में आए दिन नई-नई शाखाएँ जु़ड रही हैं। नैनो टेक्नोलॉजी इसी
क्रम में एक नया नाम है। नैनो टेक्नोलॉजी के माध्यम से पदार्थ की संरचना को नैनो स्केल
पर परिवर्तन करना संभव होता है। नैनोटेक्नोलॉजी का अर्थ है- साइंस ऑफ मिनिएचर अर्थात
लघुतर का विज्ञान । जब कोई वस्तु या सामग्री नैनोडाइमेंशन में बदल जाती है तो उसके
भौतिक, रासायनिक,चुम्बकीय, प्रकाशीय, यांत्रिक और इलेक्ट्रिक गुणों में परिवर्तन हो
जाता है। यह तकनीक बायो साइंस, मेडिकल साइंस, पर्यावरण विज्ञान, इलेक्ट्रॉनिक्स, कॉस्मेटिक्स,
सिक्योरिटी, फैब्रिक्स और विविध क्षेत्रों में बहुत उपयोगी है । यह अनुमान व्यक्त किया
जा रहा है कि नैनोटेक्नोलॉजी प्रत्येक क्षेत्र जैसे मेडिसिन, एरोस्पेस, इंजीनियरिंग,
विभिन्न उद्योगों और तकनीकी क्षेत्रों, स्वास्थ्य और अन्य क्षेत्रों में क्रांतिकारी
परिवर्तन लाएगी। कुल मिलाकर ऐसा कोई क्षेत्र नहीं होगा, जो नैनोटेक्नोलॉजी का इस्तेमाल
नहीं करेगा। इस प्रकार कहा जा सकता है कि 21वीं सदी नैनोटेक्नोलॉजी की होगी।
गौरतलब है कि नैनोटेक्नोलॉजी के द्वारा सूक्ष्म स्तर पर अणु समायोजन परिवर्तित किए
जा सकने से पदार्थों के आकार को भी छोटा करना संभव हो गया है। इस तकनीक के प्रयोग द्वारा
विभिन्न तत्वों की बांड संरचना में परिवर्तन करने पर या उनका आपस में संयोग करने पर
एकदम नए तत्व का निर्माण भी किया जा सकता है। कहने का तात्पर्य यह है कि कोयले को प्रयोगशाला
में हीरे में परिवर्तित कर सकने की क्षमता भी इस विषय द्वारा उत्पन्न की जा सकती है।
इस विषय में अभी बहुत से नए आयाम खोजे जाने बाकी हैं तथा इसके प्रयोग से भौतिकी के
लगभग सभी सिद्धांतों को यथार्थ रूप दे पाना संभव हो सकता है। इसलिए यह विषय शोधार्थियों
के लिए कार्य क्षेत्रों के नए द्वार खोलता है। इस प्रौद्योगिकी को और भी उन्नत बनाने
व भविष्य में इस क्षेत्र में नई संभावनाओं की तलाश करने के लिए भारत सरकार 'एस एंड
टी इनिशिएटिव` नाम से एक योजना चला रही है। सं.रा.अमेरिका का नेशनल साइंस फाउंडेशन
नेशनल नैनो टेक्नोलॉजी इनिशिएटिव नामक योजना चला रहा है। इसके साथ ही विश्व के तमाम
उन्नत व विज्ञान व प्रौद्योगिकी संपन्न देश भी इस पर अलग-अलग नामों से योजनाएँ चला
रहे हैं। विश्व के कई देश इस विषय में शोध के लिए प्रतिवर्ष अरबों रुपए खर्च कर रहे
हैं।
आने वाले समय में नैनो टेक्नोलॉजी के फायदों को देखते हुए पूरे विश्व में इसे एक विषय
के रूप में अपनाया जा रहा है। नैनो टेक्नोलॉजी के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम देश में उपलब्ध
हैं। एम.टेक. और एमएससी कोर्स में प्रवेश के लिए भौतिकी, रसायन विज्ञान, बायोलॉजी,
बायोइन्फॉर्मेटिक्स, इंस्ट्रूमेंटेशन आदि विषयों से स्नातक कर चुके छात्र इस हेतु आवेदन
कर सकते हैं। एडमिशन प्रवेश परीक्षा के आधार पर दिया जाता है। नैनो टेक्नोलॉजी पाठ्यक्रम
का स्वरूप मूलत: रिसर्च एवं डेवलपमेंट पर आधारित होता है। इसके पाठ्यक्रम में छात्रों
को पहले संबंधित विषय के आधारभूत सिद्धांतों से परिचित करता जाता है। इसके बाद इस तकनीक
के विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग के अनुरूप अप्लाइड रूप देकर अन्य विषयों की जानकारी
दी जाती है, ताकि पाठ्यक्रम रोचक, वस्तुनिष्ठ एवं ज्ञान पर आधारित बन सके। इसमें पदार्थ
के भौतिक, रासायनिक तथा जैविक गुणों का सूक्ष्मतम अध्ययन कराया जाता है। पाठ्यक्रम
की विषय वस्तु में क्वांटम थ्योरी, लिथोग्राफी, कार्बनिक और अकार्बनिक नैनो मटेरियल,
स्पेक्ट्रोग्राफी, ऑप्टिकल माइक्रोस्कोपी, एक्स-रे डिफ्रैक्शन, रमन प्रभाव, नैनो बायोसाइंस,
जीन स्ट्रक्चर आदि शामिल हैं।
नैनोटेक्नोलॉजी का अध्ययन करने वालों के लिए विभिन्न क्षेत्रों में कॅरियर के उजले
विकल्प उपलब्ध हैं। यह तकनीक रक्षा, सैन्य सामग्री निर्माण,फॉरेंसिक साइंस, इलेक्ट्रॉनिक्स,
आईटी, ऊर्जा आदि क्षेत्रों में रोजगार के अच्छे अवसर प्रदान करती है। नैनो टेक्नोलॉजी
पर्यावरण, कृषि, टेक्सटाइल जैसे क्षेत्रों में भी रोजगार प्रदान करती है। इस तकनीक
के प्रयोग से कैंसर जैसे असाध्य रोगों का इलाज भी संभव हो सकेगा इसलिए स्वास्थ्य और
चिकित्सा क्षेत्र में यह तकनीक अच्छी करियर की संभावनाएँ रखती है। नैनो टेक्नोलॉजी
के अध्यापन के क्षेत्र में भी उजली संभावनाएँ हैं। इस क्षेत्र में वेतन काम के अनुरूप
कई लाख तक पहुँच सकता है।
नैनो टेक्नोलॉजी का कोर्स कराने वाले देश प्रमुख संस्थान इस प्रकार हैं-
आईआईटी, दिल्ली।
आईआईटी, गुवाहाटी।
आईआईटी, कानपुर।
जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस साइंटिफिक रिसर्च, बेंगलुरू।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु।
सॉलिड स्टेट फिजिक्स लैबोरेटरी, तिमारपुर, दिल्ली-54।
नेशनल केमिकल लैबोरेट्री, पुणे।
एमिटी यूनिवर्सिटी, नोएडा।
दिल्ली विश्वविद्यालय,दिल्ली।
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी।