डिजिटल नवाचार, टिकाऊ प्रौद्योगिकियां और सहयोग सूचना, इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार प्रौद्योगिकी के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण
सम्मेलन में नौकरियों पर एआई के प्रभाव की चर्चा की गई, भारत को कार्यबल आपूर्तिकर्ता बने रहने के बजाय बौद्धिक संपदा के सृजन में भारी निवेश करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया
रोपड़/चंडीगढ़, 15 फरवरी 2025- राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईईएलआईटी) ने 14-15 फरवरी 2025 के दौरान पंजाब के रोपड़ परिसर में संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और डिजिटल प्रौद्योगिकियों पर तीसरे एनआईईएलआईटी अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (एनआईसीडीटी 2025) का सफलतापूर्वक आयोजन संपन्न हुआ।
दो दिवसीय कार्यक्रम में दुनिया भर से शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों, उद्योग पेशेवरों और छात्रों के समूह ने भाग लिया, जिससे सूचना, इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार प्रौद्योगिकी (आईईसीटी) के अत्याधुनिक क्षेत्रों में ज्ञान के आदान-प्रदान और सहयोग को बढ़ावा मिला।
एनआईसीईडीटी-2025 ने आईईसीटी के भविष्य को आकार देने में डिजिटल नवाचार, टिकाऊ प्रौद्योगिकी और अंतःविषय सहयोग के महत्व को रेखांकित किया। इस कार्यक्रम में उभरती वैश्विक चुनौतियों के लिए कार्यबल तैयार करने में डिजिटल कौशल की भूमिका पर भी जोर दिया गया।
दूसरे दिन की मुख्य बात “कार्यबल परिवर्तन: नौकरियों पर एआई का प्रभाव” विषय पर पैनल चर्चा थी। पैनलिस्ट में एनएएसएससीओएम में आईटीज सेक्टर स्किल्स काउंसिल की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) सुश्री कीर्ति सेठ, एनआईसी के वरिष्ठ निदेशक डॉ. अमित मिश्रा; ग्रीन यूनिवर्सिटी, श्रीलंका के एनएसबीएम की डॉ. थिलिनी डी सिल्वा; सुचामा एआई के सह-संस्थापक संजय शेखावत; अक्षय ऊर्जा मंत्रालय के वैज्ञानिक अरुण चौधरी शामिल थे। पैनल के संचालक एनआईईएलआईटी के कार्यकारी निदेशक डॉ. एस. के. धुरंधर थे।
सुश्री कीर्ति सेठ ने इस बात पर जोर दिया कि विश्व की अग्रणी अर्थव्यवस्था बनने के लिए, जिसकी प्रति व्यक्ति आय विश्व की सर्वश्रेष्ठ अर्थव्यवस्थाओं के बराबर हो, भारत को कार्यबल आपूर्तिकर्ता बने रहने के बजाय बौद्धिक संपदा के सृजन पर भारी निवेश करने की आवश्यकता है।
पैनलिस्टों ने इस विषय पर अपने विचार साझा किए कि किस प्रकार एआई विभिन्न क्षेत्रों में नौकरियों की प्रकृति को बदलने जा रहा है।
दो दिनों के दौरान कई तकनीकी ट्रैकों पर 120 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए गए, जिनमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, बिग डेटा एनालिटिक्स, साइबर सुरक्षा और फोरेंसिक, नेटवर्क और मोबाइल सुरक्षा, एडवांस कंप्यूटिंग - क्लाउड कंप्यूटिंग एज कंप्यूटिंग और क्वांटम कंप्यूटिंग, ब्लॉकचेन और वेब टेक्नोलॉजीज, वीएलएसआई, सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम, आईओटी, माइक्रोवेव, एंटीना और संचार, भविष्य के अनुप्रयोगों के लिए डिजिटल टेक्नोलॉजीज, दिव्यांग जनों के लिए सहायक तकनीक और वैश्विक भविष्य के लिए तैयार कार्यबल के निर्माण के लिए डिजिटल कौशल की रणनीति शामिल थी।
समापन सत्र में कुल आठ ट्रैकों में से प्रत्येक से सर्वश्रेष्ठ पेपर प्रस्तुत करने वालों को पुरस्कृत और सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के दौरान विभिन्न उद्योगों, क्षेत्र के प्रायोजकों और एनआईईएलआईटी केंद्रों के उत्पादों को प्रदर्शित करने वाले स्टॉल भी लगाए गए।