चंडीगढ़ - चंडीगढ़ निवासी पूर्व क्रिकेटर अनिल वर्मा अपने बेटे की शादी में आए हुए मेहमानों के साथ व्यस्त थे, तभी अचानक उनको खांसी के साथ खून आने लगा। कुछ ही पलों में उनका पूरा हाथ खून के साथ भर गया। परिजनों ने उन्हें यहां के एक अस्पताल पहुंचाया जहां उनके फेफड़ों का इलाज किया गया। कुछ दिन ठीक रहने के बाद उन्हें दोबारा यह समस्या आई तो किसी परिचित के माध्यम से उन्होंने बैंगलुरू स्थित नारायाणा हेल्थ सिटी में पल्मोनोलोजी इंटेसिव केयर, मेडिकल निदेशक लंग ट्रांसप्लांट डाक्टर बाशा जे खान के साथ संपर्क किया।
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जिन्होंने प्रारंभिक जांच में बताया कि अनिल वर्मा को क्रोनिक थ्रोम्बोएम्बोलिक पल्मोनरी हाइपरटेंशन (सीटीईपीएच) नामक गंभीर बिमारी है। चंडीगढ़ निवासी अनिल कुमार पूर्व क्रिकेटर रहे हैं और 80 के दशक में रणजी भी खेल चुके हैं। अनिल कुमार का सफल आप्रेशन करने वाले डाक्टर बाशा जे खान व डाक्टर जूलियस पुन्नेन ने आज यहां पत्रकारों से बातचीत में बताया कि यह गंभीर बीमारी है। समय में उपचार के अभाव में यह लंग कैंसर में बदल सकती है। आश्चर्यजनक बात यह है कि मेडिकल साइंस में इस बीमारी को डाईगनोज किया जाना मुश्किल है। क्योंकि शुरू में मरीजों के रेफरल सेंटर में आने से पहले अस्थमा, टीबी आदि का इलाज किया जाता है।
अब तक अपनी टीम के साथ करीब सात सौ पल्मोनरी थ्रोम्बोइंडरटरएक्टोमी (पीटीई) सर्जरी कर चुके डाक्टर खान व पुन्नेन ने बताया कि सीटीईपीएच आमतौर पर गंभीर रक्त के क्लोट्स के कारण होता है। फेफड़ों में टिश्यू बनकर पल्मोनरी वेसल्स का रास्ता बंद कर देते हैं। पीटीई में इन्हीं क्लोट्स को निकालने का काम किया जाता है। उन्होंने बताया कि सीटीईपीएच डाईगनोज की तकनीक में कई तरह की आधुनिकताएं आई हैं, जो रोगियों के लिए कारगर सिद्ध हो रही हैं।