नई दिल्ली - अगर सबकुछ ठीक रहा है तो अगले सप्ताह लोकसभा में केंद्र सरकार तीन तलाक पर बिल पेश करेगी. बिल का मसौदा पहले ही तैयार हो चुका है. सरकार के तीन बड़े मंत्रियों की कमेटी ने ये मसौदा तैयार किया है. इसमें तलाक देने पर 3 साल की सजा का प्रावधान है. वहीं मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस बिल को विरोध किया है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड तीन तलाक पर बनने वाले कानून को भी मानने के लिए तैयार नहीं हैं. इसी कड़ी में रविवार (24 दिसंबर) को मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने आपात बैठक बुलाई है.
इस बैठक में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य बिल के विरोध में अपनी अगली रणनीति पर बिचार करेगा. सरकार 'द मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्ट' नाम से इस विधेयक को लाएगी. ये कानून सिर्फ तीन तलाक (INSTANT TALAQ, यानि तलाक-ए-बिद्दत) पर ही लागू होगा. इस कानून के बाद कोई भी मुस्लिम पति अगर पत्नी को तीन तलाक देगा तो वो गैर-कानूनी होगा.
इसी साल 22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को गैर कानूनी करार दिया था. मोदी सरकार इसके लिए काफी लंबे समय से तैयारी कर रही थी. 1 दिसंबर को ड्राफ्ट तैयार कर रिव्यू के लिए भेजा गया था, और 10 दिसंबर तक सुझाव मांगा था. सरकार की मानें तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी देश में कई तीन तलाक के मामले सामने आए थे. बिल को झारखंड, असम, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों का समर्थन मिला है.
बिल के तहत किसी भी स्वरूप में दिया गया तीन तलाक वह चाहें मौखिक हो, लिखित और या मैसेज में, वह अवैध होगा. जो भी तीन तलाक देगा, उसको तीन साल की सजा और जुर्माना हो सकता है. यानि तीन तलाक देना गैर-जमानती और संज्ञेय ( Cognizable) अपराध होगा. इसमें मजिस्ट्रेट तय करेगा कि कितना जुर्माना होगा. आपको बता दें कि सरकार के इस कदम को लेकर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने 17 दिसंबर को दिल्ली में एक बैठक बुलाई थी. कुछ दिन पहले मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने कहा था कि मोदी सरकार तीन तलाक पर जो बिल ला रही है. वह मुस्लिम महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए नहीं, बल्कि एक तरह राजनीतिक स्टैंड है. पीएम नरेंद्र मोदी ने तीन तलाक पर कानून बनाने के लिए एक मंत्री समूह बनाया था, जिसमें राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, रविशंकर प्रसाद, पीपी चौधरी और जितेंद्र सिंह शामिल थे.