Hindi English Thursday, 28 March 2024
BREAKING
शहीदे-आजम सरदार भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव सच्चे राष्ट्रवादी थे - दत्तात्रेय उत्तराखंड युवा मंच द्वारा एथलेटिक मीट का आयोजन, युवाओं ने दिखाया अपना दमखम पंजाब की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में लुधियाना के उद्यमियों का अहम योगदान:साक्षी साहनी बौद्धिक संपदा अधिकार जीआई टैगिंग द्वारा हिमाचल प्रदेश के अधिक पारंपरिक उत्पादों की रक्षा कर सकते हैं: अतीश कुमार सिंह आंत्र की आदतों में बदलाव, बार-बार कब्ज होना, पेट में परेशानी कोलोरेक्टल कैंसर के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं: डॉ. मोहिनीश छाबड़ा इकोसिख, उद्योग के साथ मिलकर 10 लाख पेड़ लगाएगा नई दिल्ली की छात्रा को मिला 225,000 डॉलर (एयूडी) का शाहरुख खान ला ट्रोब यूनिवर्सिटी पीएचडी स्कॉलरशिप रोगाणुरोधी प्रतिरोध से निपटने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता - दत्तात्रेय गले के पिछले हिस्से में गाढ़े रंग की मोटी त्वचा टाइप 2 डायबिटीज़ से पीड़ित लोगों में लिवर की बीमारी का प्रमुख संकेत ईवी को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं युवा:सुखविंदर सिंह

विविध / कथा कहानी

More News

महाबली खली ने मचाई खलबली

Updated on Wednesday, March 26, 2014 15:05 PM IST

कब किस इन्सान की किस्मत बदल जाए क्या पता चलता है और अब कोई फर्श से अर्श तक पहुंच जाए इसका भी अनुमान लगाना नामुमकिन है। यह एक ऐसे ही शख्स की दास्तान है जिसका सितारा आज बुलंदियों पर है। और इस सितारे का नाम है--‘खली’।

            ‘खली’ नाम आते ही एक लम्बे-चौड़े, भारी-भरकम इन्सान की छवि आंखों के सामने अपने आप आ जाती है। जिसने अपने देश ही नहीं विदेशों में भी अपने नाम की धूम मचा रखी है।

            जिला सिरमौर ;हिमाचल प्रदेश के एक छोटे से गांव धीराइना में पैदा हुए दलीप सिंह राणा और अब द ग्रेट खली के नाम से मशहूर विशाल कद-काठी के मालिक दलीप निहायत ही गरीब परिवार में पले-बढ़े हैं।

            दलीप सिंह राणा ने डब्ल्यू.डब्ल्यू.ई. स्मैक डाउन वर्ल्ड हैवी वेट प्रतियोगिता के 20 मैन फाइट पर कब्जा करने के लिए डब्ल्यू.डब्ल्यू.ई. के 20 नामी रैसलरों को रिंग में धूल चटाई। हैवीवेट विश्व चैंपियन बनने के लिए 20 मैन फाइट के अंतिम चरण में चैम्पियन रहे केन और बतिस्ता को रिंग में पछाड़ कर चैम्पियन बने दलीप सिंह राणा उर्फ द ग्रेट खली पर आज पूरे देश को नाज है।

            दलीप सिंह राणा ने देश के सबसे पिछड़े जिलों में से एक जिला सिरमौर के दुर्गम व बुनियादी सुविधाओं से महरूम गिरीपार क्षेत्र के गांव धीराइना का नाम भी दुनिया के नक्शे पर अंकित कर दिया है। दलीप सिंह राणा का परिवार आज भी दुनिया के विकास की चकाचौंध से कोसों दूर देश के पिछड़े क्षेत्रों में से एक शिलाई क्षेत्र में गांव धीराइना में बेहद सादगीपूर्ण और पहाड़ जैसा कठोर जीवन जी रहा है। खली का पैतृक गांव धीराइना प्रमुख सड़क से 400-500 मीटर की दूरी पर है। जहां तक जाने वाली सड़क अभी भी कच्ची है।

            खली के परिवार में बूढ़े मां-बाप और उसके अन्य 6 भाई हैं। वे खली की इस बहादुरी व भारत का नाम दुनिया भर में रोशन करने पर फूले नहीं समाते।

            दलीप सिंह के छोटे भाई अतर सिंह राणा ने बताया कि पूरे परिवार को दलीप सिंह को मिली कामयाबी पर फभ है। उन्होंने बताया कि उन्हें अपने बडे़ भाई दलीप पर नाज है कि उनके परिवार में एक ऐसा शख्स पैदा हुआ जिसने दुनिया भर में अपने देश, प्रदेश व अपने परिवार का नाम रोशन किया।

            अतर सिंह के अनुसार परिवार को यह सुनना अच्छा लगता था कि टीवी पर दलीप सिंह बड़े-बड़े चैम्पियनों को धूल चटा रहा था। उनके गांव में तो केबल टी.वी. चलता ही नहीं था और न ही टैन स्पोर्ट्स चैनल आता था, जिस पर दलीप सिंह राणा की फाइट दिखाई जाती थी। अतर सिंह ने बताया कि हम एक बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखते थे और जब दलीप सिंह यहां था तो गरीबी की हालत थी। मगर जब से दलीप सिंह पंजाब पुलिस में भर्ती हुआ और रैसलिंग में हिस्सा लेने लगा तब से हालात सुधरे हैं और वह लगातार परिवार की मदद कर रहा है।

            ग्रामीणों ने बताया कि इस क्षेत्र में टीवी तो चलते हैं मगर केबल की सुविधा नहीं है। ऐसे में ग्रामीण अपने होनहार बेटे विश्व चैंपियन ग्रेट खली की फाइट से महरूम हैं।  यदि उन्हें खली की फाइट देखनी हो तो उन्हें गांव से 25-30 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। खली की मां टंडी देवी ने भी अपने बेटे को डब्ल्यू.डब्ल्यू.ई. फाइट करते हुए पहली बार जालंधर में ही देखा था, जहां दलीप का भाई उन्हें ले गया था। आज दलीप सिंह राणा का पूरा परिवार अपना पैतृक गांव छोड़कर खली द्वारा बनाए गए नए भवन में गांव नैनीधार में बस चुका है जहां उन्हें अब सभी प्रकार की सुख-सुविधाएं उपलब्ध हैं।

            दलीप सिंह के पारिवारिक सदस्यों ने बताया कि जिस दिन खली की फाइट आनी होती है दलीप सिंह उर्फ खली के पिता ज्वाला राम व मां टंडी देवी चैनल नहीं देखते क्योंकि मां-बाप अपने बेटे को टीवी पर मार खाते हुए नहीं देख सकते। जब मां को पता चलता है कि बेटे की फाइट होने जा रही है तो वह उपवास रखती है और अपने बेटे की सलामती और जीत के लिए की दुआएं करती है, ताकि खली अपने साथ-साथ अपने देश भारत का नाम भी रोशन कर सके।

            अपनी जवानी के दिन दिलीप सिंह राणा उर्फ खली ने शिमला में बिताए हैं। शहर के सबसे व्यस्ततम इलाके मिडल बाजार की गलियों में घूमकर उसने जीवन का निर्वाह किया और विकट परिस्थितियों में 10 वर्ष गुजारे। तहसील रोहडू के दलगांव में पत्थर तोड़ रहे मजदूर दलीप पर शिमला के एक व्यवसायी रवि गिरी की नजर पड़ी। वह इसके शरीर को देखकर इसे अपने अंगरक्षक के तौर पर 1993 में शिमला ले आये। उस समय दलीप सिंह राणा की आयु मात्र 22 वर्ष थी। शिमला की गलियों में लंबे-चौडे़ शरीर वाले दलीप को देखकर लोग आश्चर्यचकित होते थे। इसके अलावा दलीप सिंह उनकी दुकान का काम तथा उनके बच्चों को स्कूल ले जाने व लाने का कार्य भी करता था।

            रवि गिरी ने बताया कि खली बचपन से ही खाने-पीने का शौकीन रहा है। तब भी वह 3 व्यक्तियों का भोजन एक समय में किया करता था। वह शुरू से ही बॉडी बिल्डिंग का शौकीन रहा लेकिन साधनों का अभाव होने के कारण वह अपना शौक पूरा नहीं कर सका।

            रवि गिरी ने ही बताया कि खली ने अपने जीवन में बहुत दुख देखे हैं। एक बार वे उसे हिमाचल सरकार के पास खेल विभाग में नौकरी दिलाने के लिए ले गए लेकिन प्रदेश की राजनीति ने उसे दो वक्त की रोटी नसीब नहीं होने दी। उसकी अहमियत न समझते हुए एक बहुमूल्य हीरा खो दिया। इस बहुमूल्य हीरे को देखकर पंजाब पुलिस से आए आई.जी. भुल्लर ने इस हीरे की उपयोगिता को समझा और उसे अपने राज्य पंजाब ले गए। वहां उन्होंने दलीप को बतौर सब इंस्पैक्टर के पद पर तैनात किया। पढ़ाई पूरी न होने के कारण इन्हें स्पोर्ट्स कोटे में भर्ती किया गया तथा दसवीं तक की परीक्षा इन्होंने प्राइवेट पास की। यहीं से खली का भाग्योदय हुआ। 27 फरवरी 2002 को पंजाब की हरमिन्द्र कौर से इनकी शादी हुई।

            खली ने सर्वप्रथम जापान में जाकर बिग ब्रदर के नाम से रैसलिंग में कदम रखा जहां अंतर्राष्ट्रीय निगाहें उस पर पड़ीं और आज वही दलीप सिंह जो कभी दो वक्त की रोटी के लिए तरसता था आज दुनिया का हीरो और देश की शान है। जिस पर हर भारतीय को गर्व है। विश्व पटल पर रैस्लर बन नाम कमाना खली और भारत देश की एक महान उपलब्धि है।

            दलीप सिंह राणा के उस समय विशेष प्रकार के चप्पल बना चुका प्यारे लाल भी खली के विश्व चैंपियन बनने से खासा प्रसन्न है। उसने कहा कि खली का एक पैर डेढ़ फुट का था जिसमें कोई भी जूता व चप्पल नहीं आता था। उस समय उसने दलीप के लिए चमड़े के विशेष तरह के चप्पल तैयार किए। वह अक्सर उसकेे द्वारा तैयार किए गए चप्पल ही पहना करता था। प्यारे लाल का कहना था कि खली ज्यादातर चप्पलें पहनना पसंद करता था। पंजाब जाने के बाद ही उसने कंपनी की ओर से दिए गए विशेष तरह के जूते पहनने शुरू किए। खली के एक और सहयोगी पद्म चंद ने खली के विश्व चैंपियन बनने पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि उन्हें खुशी है कि उनके साथ काम कर चुका व उन्हीं के बीच से गया एक गरीब परिवार का लड़का आज विश्व विजेता है जिसे लोग खली के नाम से जानते हैं।

            ग्रामीणों के अनुसार उनके गांव धीराइना को भगवान शिव का वरदान प्राप्त है। पिछली कई पीढ़ियों से यहां शक्तिशाली शरीर वाले इंसान पैदा हुए हैं, दलीप सिंह राणा 7 फुट 3.5 इंच तथा दिलीप सिंह राणा के परदादा शिबूराम की ऊंचाई 8 फुट थी जबकि एक अन्य परिवार के सदस्य मीना राम का कद 7-8 फुट के बीच था।

            अपने संघर्ष के दिनों में प्रदेश में दो वक्त की रोटी के लिए जूझ रहा दलीप सिंह उर्फ ग्रेट खली आज इतना अमीर बन चुका है कि पूरे प्रदेश की दो वक्त की रोटी का निर्वाह कर सकता है। द ग्रेट खली आज भी अपने वही संघर्ष के दिन भूला नहीं है। जब वह पत्थर तोड़कर अपने लिए दो वक्त की रोटी का निर्वाह किया करता था, फिर भी वह भर-पेट खाना नहीं खा सकता था लेकिन आज वह अमरीका जैसी जगह में अपना घर लेकर रह रहा है।

            पंजाब में खली ने गरीब लड़कों के लिए ;जिन्हें बॉडी बिल्डिंग का शौक हैद्ध एक बहुत बड़ा जिम खोल रखा है। इसका संचालन उनका भाई करता है।

            खली के छोटे भाई अतर सिंह से पूछे जाने पर कि अगर दलीप सिंह राणा अपने परिवार को यह कहे कि चलो अब हम सब अमरीका में रहेंगे तो क्या परिवार अमरीका जाएगा? इस प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि वह अपना गांव नहीं छोड़ सकते। अपनी मिट्टी से जुड़े रहकर ही वह अमरीका घूमने जा सकते हैं, मगर वापस आकर गांव में ही रहेंगे।

            आने वाले दिनों में खली को लोग हॉलीवुड की फिल्मों में भी देखेंगे। खली ने अमरीका में चार फिल्मों में काम किया  है। खली ने एक अमरीकन फिल्म ‘दा लांगेस्ट-डे’ में एक जेल के कैदी की भूमिका निभाई थी जिसमें वह एक रगबी मैच में गोल कीपर की भूमिका में थे। इनकी हाल में हिन्दी फिल्म ‘कुश्ती’ अभिनेता राजपाल यादव के साथ आई है तथा कलर्स चैनल के ‘बिग बॉस’ प्रोग्राम में भी आ चुके हैं।

            असली हीरो कौन होता है के जवाब में खली कहते हैं कि जो पब्लिक का सबसे ज्यादा मनोरंजन करता है वही असली हीरो होता है और जिसको देखकर लोग पॉपकार्न खा रहे हों तो समझो कि उसके दिन लद गये। खली कहते हैं कि फिल्म और रैसलिंग एक ही से हैं। वे कहते हैं कि जो फिल्म अंत तक दर्शकों में रोमांच बनाए रखे वही हिट है, इसी तरह रैसलिंग भी है, रैसलिंग का मतलब ही लोगों का मनोरंजन करना है। इसमें हार या जीत से कोई फर्क नहीं पड़ता। मेरा मकसद सिर्फ मनोरंजन करना है। और वर्ल्ड रैसलिंग एंटरटेनमेंट का मतलब ही मनोरंजन करना है।

            हमें आशा करनी चाहिए कि हिमाचल का यह शूरवीर आगे भी कई नये कीर्तिमान स्थापित करेगा और भारत का नाम दुनिया में और-और अधिक चमकायेगा।

- विजय कुमार, 103-सी, अशोक नगर, अम्बाला छावनी हरि. मोबाइल: 9813130512

Have something to say? Post your comment
X