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सतत विकास की ओर - आईआईटी रुड़की में सकल पर्यावरण उत्पाद (जीईपी) पर पैनल चर्चा

Updated on Tuesday, October 08, 2024 11:47 AM IST

• पर्यावरणीय स्थिरता और आर्थिक विकास के लिए सहयोगात्मक प्रयास
• विकास को परिभाषित करने के नए मापदंड: जीडीपी से जीईपी की ओर बदलाव 

आईआईटी रुड़की, 07 अक्टूबर , 2024: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की ने हिमालयी पर्यावरण अध्ययन और संरक्षण संगठन (एचईएससीओ) के साथ मिलकर सकल पर्यावरण उत्पाद पर एक पैनल चर्चा आयोजित की। चर्चा का मुख्य उद्देश्य पारिस्थितिक मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और विकास को परिभाषित करने के लिए जीडीपी-आधारित आर्थिक विकास मापदंडों से सकल पर्यावरण उत्पाद (जीईपी) उपायों में बदलाव के लिए एक व्यापक रणनीति की आवश्यकता पर जोर देना था। कई लोगों का मानना था कि जब तक हम पारिस्थितिक स्थिरता की अनदेखी करते रहेंगे, तब तक आर्थिक स्थिरता हासिल नहीं की जा सकती।

 

कार्यक्रम की शुरुआत सुबह 10:00 बजे आईआईटी रुड़की के जल संसाधन विकास और प्रबंध विभाग के प्रोफेसर आशीष पांडे के स्वागत भाषण और पद्मभूषण डॉ. अनिल पी. जोशी, जो कि एक प्रसिद्ध पर्यावरणविद् और देहरादून स्थित स्वैच्छिक संगठन हिमालयन पर्यावरण अध्ययन संरक्षण संगठन (HESCO) के संस्थापक हैं, के संक्षिप्त परिचय के साथ हुई।

 

डॉ. जोशी ने विषय, संदर्भ और आज के समय में विकास के ऐसे मापदंड की आवश्यकता पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने हमारे पास मौजूद अन्य मापदंड के संबंध में उस विषय की पूरकता पर जोर दिया और उन्होंने सुझाव दिया कि माप के एक तरीके के रूप में GEP को अपनाने से विकास को किस तरह से संतुलित किया जा सकता है, जो कि बहुत जरूरी पर्यावरण संरक्षण के साथ जुड़ा हुआ है। वैश्विक स्तर पर पारिस्थितिक क्षति को रोकने के उपायों के कार्यान्वयन की आवश्यकता के बारे में बोलते हुए, हेस्को के संस्थापक पद्मभूषण डॉ. अनिल पी. जोशी ने कहा, “हम देश में बड़ी आबादी के लिए आर्थिक विकास की तत्काल जरूरतों को नकार नहीं सकते, लेकिन साथ ही पारिस्थितिक जरूरतों को भी नकार नहीं सकते। व्यावसायीकरण पर हमारे जोर ने पारिस्थितिकी मुद्दे को पीछे धकेल दिया है। तर्कसंगतता इस तथ्य में निहित है कि अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी के बीच संतुलन होना चाहिए। स्थिर पारिस्थितिकी ही निरंतर आर्थिक विकास ला सकती है। हम सबको इस विषय पर सोचने की और साथ आने की आवश्यकता है 

कार्यक्रम मे हेस्को की तरफ से आए डॉ शिवम जोशी ने जीईपी के बारे मे अपनी प्रस्तुति देते हुए उसका महत्व बताया साथ ही अपने शोध कार्यों के बारे मे बात की। 

कार्यक्रम के अवसर पर आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर कमल किशोर पंत ने जीईपी की सराहना की तथा पर्यावरण संरक्षण और उसके महत्व के बारे मे बताते हुए कहा कि हमारी मूलभूत आवश्यकताएँ भोजन ऊर्जा और जल हैं, अगर हमे भविष्य को बचाना है तो इन तीनों का सीमित और उचित दोहन ही करना चाहिए। साथ ही साथ हमे समाज़ को पर्यावरण के बारे में जागरूक करना होगा ।

उदघाटन सत्र मे श्री सत्य प्रकाश डोभाल(निदेशक आईटीएम मसूरी), डॉ एम मधु निदेशक भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, प्रो दुर्गेश पंत महानिदेशक यूकास्ट देहारादून, व श्री राज शेखर जोशी उपाध्यक्ष सेतु उत्तराखंड सरकार, प्रॉ शिशिर सिन्हा महानिदेशक सीपेट , प्रो० अक्षय द्विवेदी डीन प्रायोजित शोध और औद्योगिक परामर्श आईआईटी रुड़की ने भी अपनी बात रखी

उदघाटन सत्र के बाद पैनल चर्चा का भी आयोजन हुआ जिसमे आए हुये विभिन्न वक्ताओ ने अपने विषय पर चर्चा की।

कार्यक्रम का संचालन आलोक शुक्ल व धन्यवाद ज्ञापन आईआईटी रुड़की के प्रबंधन अध्ययन विभाग के प्रोफेसर विनय शर्मा ने किया। इस कार्यक्रम में हमारी प्राकृतिक संपत्तियों की रक्षा के लिए तत्काल कार्य योजना बनाने की मांग पर ध्यान केंद्रित किया गया, जो तेजी से कम हो रही हैं।

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