नई दिल्ली - भारतीय वायुसेना ने आपात स्थिति में किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए ट्रायल के दौरान गुरुवार को फाइटर जेट मिराज-2000 यमुना एक्सप्रेस-वे पर उतारा। भारतीय सैन्य इतिहास में यह पहला मौका है जब कोई लड़ाकू विमान राष्ट्रीय राजमार्ग का रन वे की तरह उपयोग कर वहां उतरा और फिर उड़ान भी भरी। गुरुवार सुबह आगरा से दिल्ली के बीच बने यमुना एक्सप्रेस वे पर उतरे लड़ाकू विमान मिराज 2000 ने सभी को रोमांचित कर दिया।
मथुरा के पास इस विमान के बाद एक हेलिकाप्टर भी एक्सप्रेस वे पर उतारा गया। विमान उतरने से पहले गुरुवार सुबह चार बजे से ही यातायात रोक दिया गया था। सामरिक दृष्टि से इसे एक बड़ी सफलता माना जा रहा है। जानकारों के अनुसार हवाई अड्डों पर किसी समस्या के होने या दुश्मनों के बमबारी होने पर ऐसी सडक़ों पर लड़ाकू विमान उतारने का यह एक ट्रॉयल था। भारत से पहले चीन, पाकिस्तान, स्वीडन, जर्मनी, स्विट्जरलैंड, ताइवान, पोलैंड, फिनलैंड, चेकोस्लोवाकिया, साउथ कोरिया और सिंगापुर में एयरफोर्स के लिए रोड रन वे बने हैं। पाकिस्तान ने 2010 में ही इस्लामाबाद लाहौर मोटर वे के एक हिस्से को अपनी एयरफोर्स के लिए रोड रनवे के रूप में विकसित कर लिया था।
वायु सेना का कहना है कि वह भविष्य में इस तरह का अभ्यास दूसरे हाई वे पर भी करने की योजना बना रही है। मथुरा के पास उतरे मिराज 2000 लड़ाकू विमान ने ग्वालियर से उड़ान भरी थी। वायुसेना सूत्रों के अनुसार आगरा और लखनऊ के बीच बन रहे एक्सप्रेस वे को भी इस तरह बनाया जा रहा है, जिससे वहां भी आपात स्थिति में लड़ाकू विमानों को उतारा जा सके। इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार और वायुसेना के बीच दो दौर में बातचीत हो चुकी है।
देश के इतिहास में शायद पहली बार हुई इस रोमांचित कर देने वाली घटना के समय आगरा और मथुरा के जिलाधिकारी के साथ ही वायुसेना के कई अधिकारी मौजूद थे। एक्सप्रेस-वेमथुरा के पास माइलस्टोन 118 का तीन किलोमीटर का हिस्सा प्लेन की लैंडिंग के लिए सही माना गया। इसकी वजह यह थी कि यह एक्सप्रेस-वे के बाकी हिस्सों से ज्यादा मोटा और मजबूत था। इस हिस्से की चौड़ाई 50 मीटर थी, जो एयरफोर्स के रन-वे से भी ज्यादा पाई गई। सडक़ के दोनों ओर 110 मीटर की जमीन भी खाली थी।