Hindi English Tuesday, 22 April 2025
BREAKING
ट्राइसिटी चर्चेज़ एसोसिएशन ने पोप फ्रांसिस के निधन जताया शोक दुष्यंत प्रताप सिंह बहु प्रतीक्षित किताब "सात्यकि द्वापर का अजेय योद्धा" का ऑनलाइन संस्करण इंडी प्रेस द्वारा समूचे विश्व में रिलीज स्वर्ण जयंती समारोह के अंतर्गत श्री धनवंतरी आयुर्वेदिक कॉलेज एंड हॉस्पिटल आयोजित करेगा तीन दिवसीय ‘समवाय 2025’ एक राजकुमार, एक आम कुमारी और एक अनपेक्षित प्रेम कहानी ‘द रॉयल्स’ 9 मई से नेटफ्लिक्स पर टीडीएल क्रिकेट नर्सरी, पंचकूला ने 26वें भारत केशव गुप्ता मेमोरियल अंडर-15 क्रिकेट टूर्नामेंट का खिताब जीता ईस्टर के शुभ अवसर पर क्राइस्ट दा किंग चर्च मे प्रार्थना सभा आयोजित द प्रोग्रेसिव वेलफेयर एसोसिएशन ने लगाया निशुल्क आईचेक कैम्प उर्वशी रौतेला 'गोल्डन क्वीन' पुरस्कार से सम्मानित अनुराग कश्यप की अपमानजनक टिप्पणी पर भड़की गीतकार अनामिका गौड़ 28 किलो के लहंगे में रैंप पर तलवार चलाती अदा शर्मा

धर्म – संस्कृति

More News

ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति से ही अंतर्मन का सुकून मिलता है

Updated on Saturday, March 09, 2024 11:32 AM IST

चंडीगढ़- ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति से ही अंतर्मन का सुकून मिलता है। यह ब्रह्मज्ञान सतगुरु की शरण में आकर मिलता है यह विचार मलोया (चंडीगढ़) के ग्राउंड में हुए विशाल निरंकारी संत समागम में संत निरंकारी मंडल के सचिव जोगिंदर सुखीजा ने हजारों की संख्या में उपस्थित साथ संगत को संबोधन करते हुए कहे।

उन्होंने सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के संदेश “मनुष्य जन्म अनमोल है तथा इस मनुष्य जीवन में रहते हुए ही ब्रहम की प्राप्ति की जा सकती है” के संदर्भ में आगे कहा कि ब्रह्मज्ञान ही सदैव रहने वाला है तथा यही सत्य है। बाकी जो कुछ भी है वो स्वप्न्न है, नाशवान है केवल एक हरि ही सत्य है।

उन्होंने आगे कहा कि जो इस तन, मन व धन को निरंकार प्रभु की देन मानते है, उन्हीं का जीवन सुकून से भरा होता है। फिर प्रत्येक परिस्थिति में एक सी ही स्थिति बनी रहती है।

बाबा हरदेव सिंह जी द्वारा दी उदाहरण से समझाते हुए कहा कि एक मूर्तिकार द्वारा तीन एक जैसी मूर्तियां बनाई गई परंतु कीमत अलग अलग रखी। उनकी विभिन कीमत होने का मूर्तिकार ने कारण बताया कि पहली मूर्ति के कान में तिनका डाला तो वो दूसरे कान से निकल गया, भाव शब्द सुना परन्तु उस पर सुनकर अनसुना कर दिया।

वही दूसरी मूर्ति के कान में डाला तिनका मुंह से निकल जाता है। भाव सुना पर जुबान से दोहरा रहे हैं, उसे जीवन में अपना नही रहे। वही तीसरी मूर्ति का तिनका कान से सीधे अंदर चला गया। भाव जो गुरु की शिक्षाओं को सुनते ही नही बल्कि उन शिक्षाओं को ग्रहण कर अमल में ले आये हैं। इसीलिए उसी व्यक्ति के जीवन की कीमत अधिक है जो ब्रह्मज्ञान प्राप्ति कर सतगुरु के हर वचन को हूबहू अपनाता है।

चंडीगढ़ जोन के जोनल इंचार्ज ओ.पी. निरंकारी जी और चंडीगढ़ ब्रांच के संयोजक, एरिया के मुखी व क्षेत्रीय संचालक ने जोगिंदर सुखीजा सचिव संत निरंकारी मंडल का चंडीगढ़ पहुंचने पर अभिवादन किया। इस अवसर पर जोनल इंचार्ज ने कहा कि सुकून तभी प्राप्त होगा जब आत्मा अपने मूल परमात्मा से ब्रह्मज्ञान द्वारा इकमिक हो जाएगी।

चंडीगढ़ ब्रांच के संयोजक नवनीत पाठक ने चंडीगढ़ प्रशासन और नगर निगम व पार्षद तथा सभी विभागों द्वारा दिये गए सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया।

Have something to say? Post your comment
अमृत वर्षा अवार्ड-3 ज्योतिष सम्मेलन आयोजित

: अमृत वर्षा अवार्ड-3 ज्योतिष सम्मेलन आयोजित

स्वयं को आध्यात्मिकता से जोड़कर जीवन को सरल बनाए – सतगुरु माता सुदीक्षा जी

: स्वयं को आध्यात्मिकता से जोड़कर जीवन को सरल बनाए – सतगुरु माता सुदीक्षा जी

लक्ष्य ज्योतिष संस्थान ने मनाया अपना नौवां स्थापना दिवस

: लक्ष्य ज्योतिष संस्थान ने मनाया अपना नौवां स्थापना दिवस

NRI आचार्य हरिदास गुप्ता के नेतृत्व में सनातन धर्म में पहली बार महाकुंभ में हुआ कैलाश अभिषेक:

: NRI आचार्य हरिदास गुप्ता के नेतृत्व में सनातन धर्म में पहली बार महाकुंभ में हुआ कैलाश अभिषेक:

तू ही तू में अम्मी हुजूर शहंशाह का 42वां सालाना उर्स-ए-मुबारक व सर्व धर्म समागम जारी

: तू ही तू में अम्मी हुजूर शहंशाह का 42वां सालाना उर्स-ए-मुबारक व सर्व धर्म समागम जारी

सर्व समाज उत्थान एवं विकास समिति के 8 वें स्थापना वार्षिकोत्सव पर दो दिवसीय धार्मिक कार्यक्रम सम्पन्न 

: सर्व समाज उत्थान एवं विकास समिति के 8 वें स्थापना वार्षिकोत्सव पर दो दिवसीय धार्मिक कार्यक्रम सम्पन्न 

58वें महाराष्ट्र के निरंकारी संत समागम की स्वेच्छा सेवाओं का शुभारम्भ

: 58वें महाराष्ट्र के निरंकारी संत समागम की स्वेच्छा सेवाओं का शुभारम्भ

प्रभु परमात्मा से जुड़ कर भक्ति का विस्तार संभव -माता सुदीक्षा जी

: प्रभु परमात्मा से जुड़ कर भक्ति का विस्तार संभव -माता सुदीक्षा जी

मानव से प्रेम ही ईश्वर प्रेम है - माता सुदीक्षा जी

: मानव से प्रेम ही ईश्वर प्रेम है - माता सुदीक्षा जी

साहिब श्री गुरु नानक देव जी के 555वें प्रकाश पर्व पर निकाला गया विशाल नगर कीर्तन

: साहिब श्री गुरु नानक देव जी के 555वें प्रकाश पर्व पर निकाला गया विशाल नगर कीर्तन

X