चंडीगढ़ - मानव संसाधन के क्षेत्र में जहां नौकरियों की भरमार है वहीं भारत में रहकर कनाडा की मांग के अनुसार प्रशिक्षण हासिल करने वाले मानव संसाधन की विदेशों में बेहद मांग है। 21वीं सदी के विश्व की जरूरत के अनुसार मानव संसाधन बनाना सबसे बड़ी चुनौती है।
उक्त विचार चार्टर्ड प्रोफैशनल इन हयूमन रिसोर्स (सीपीएचआर) की चेयरपर्सन सुज़ैन रयान व सीईओ एंथोनी अरिगनेल्लो व पूर्व सीओओ बी.एस. गिल ने आज मोहाली स्थित श्रीबाला जी मैनेजमैंट कंसल्टेंट (एसबीएमसी) द्वारा आयोजित कार्यक्रम के दौरान विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र वितरित करने के बाद उन्हें संबोधित करते हुए व्यक्त किए। आज आयोजित कार्यक्रम के दौरान सीपीएचआर द्वारा उन विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र दिए गए जिन्होंने एसबीएमसी में रहकर कनाडा के मनादंडों के अनुरूप मानव संसाधन के क्षेत्र में प्रशिक्षण हासिल किया है।
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इस अवसर पर बोलते हुए सुज़ैन रयान ने कहा कि वर्तमान में कनाडा में एक लाख 30 हजार मानव संसाधन (एच.आर. प्रोफैशनल) काम कर रहे हैं। चालू वर्ष के दौरान कनाडा में एच.आर.क्षेत्र में करीब चार हजार नए एचआर की जरूरत है। युवा वर्ग को इस क्षेत्र में अपना भविष्य बनाने का परामर्श देते हुए उन्होंने कहा कि अन्य क्षेत्रों के मुकाबले यहां औसतन वेतन 63,400 डॉलर मासिक है। बहुराष्ट्रीय कंपनियां अंतरराष्ट्रीय प्रमाणिकता के साथ भारतीयों पर भरोसा करती है। ऐसे में अगर पंजाब के युवाओं को कनेडियन कपंनियों की मांग के अनुसार एच.आर. के क्षेत्र में प्रशिक्षण दिया तो वह विदेश में जाकर स्थिरता मिलेगी।
इस अवसर पर बोलते हुए बाला मैनेजमेंट कंसलटेंट के सीईओ राहुल वैंकटेश सिंगला ने बताया कि पंजाब से हर साल भारी संख्या में युवा विदेशों में जाते हैं लेकिन कौशल विकास के अभाव में उन्हें कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। एसबीएमसी द्वारा अब तक करीब साढे तीन हजार युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान किए जाने का दावा करते हुए राहुल ने बताया कि अगर चंडीगढ़ या मोहाली में कनाडा की मांग के अनुसार एच.आर. प्रोफैशनल को तैयार किया जाएगा तो पंजाब से विदेश जाने वाले युवाओं को अपना भविष्य संवारने में कोई परेशानी नहीं आएगी।