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थायराइड समस्या का समय पर निदान महत्वपूर्ण: डॉ. केपी सिंह

Updated on Monday, January 13, 2025 10:47 AM IST

मोहाली, 12 जनवरी 2025: थायराइड ग्रंथि, गले में स्थित एक छोटी तितली के आकार की ग्रंथि है, जो शरीर के मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करने और आवश्यक हार्मोन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हालांकि, थायराइड विकारों और उनके समय पर निदान की आवश्यकता के प्रति जागरूकता बेहद कम है।

फोर्टिस मोहाली के एंडोक्राइनोलॉजी डायरेक्टर डॉ. केपी सिंह ने थायराइड की सामान्य समस्याओं पर प्रकाश डाला और बताया कि इस ग्रंथि के कार्य में गड़बड़ी शरीर के विभिन्न कार्यों को कैसे प्रभावित कर सकती है।

डॉ. केपी सिंह ने थायराइड ग्रंथि के बारे में बताया कि थायराइड ग्रंथि गले में स्थित होती है और श्वास नली (विंडपाइप) के दोनों ओर फैली होती है। यह सबसे बड़ी अंतःस्रावी (एंडोक्राइन) ग्रंथि है, जो मुख्य रूप से दो हार्मोन, थायरोक्सिन (टी4) और ट्राइआयोडोथायरोनिन (टी3) का स्राव करती है। इन हार्मोनों का स्राव पिट्यूटरी ग्रंथि द्वारा स्रावित थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन (टीएसएच) द्वारा नियंत्रित होता है।

थायराइड ग्रंथि कार्बोहाइड्रेट, वसा और प्रोटीन के मेटाबॉलिज्म को बढ़ाती है, शरीर के वजन को कम करती है, और हृदय गति और रक्तचाप को बढ़ाती है। थायराइड की बीमारियां हाइपरथायरायडिज्म, हाइपोथायरायडिज्म, गॉइटर, क्रेटिनिज्म, मिक्सीडेमा, थायराइड कैंसर, दुर्लभ मामलों में थायराइड स्टॉर्म रूपों में प्रकट होती हैं।

डॉ सिंह ने बताया कि थायराइड समस्याएं पोषण की कमी के कारण कुपोषण, कैफीन, चीनी, या अन्य उत्तेजक पदार्थों का अत्यधिक सेवन, हार्ड लिकर जैसे पदार्थ जो थायराइड के सही कार्य में बाधा डालते हैं, कारणों से होती हैं।
उन्होंने बताया कि थायराइड समस्याओं के जोखिम कारक को मुख्य रूप से निम्नलिखित श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है।

लिंग और उम्र: महिलाओं में पुरुषों की तुलना में थायराइड की समस्या होने की संभावना 6 से 8 गुना अधिक होती है। 50 वर्ष से अधिक आयु के लोग उच्च जोखिम में होते हैं। व्यक्तिगत इतिहास: पिछले थायराइड रोग का इतिहास भविष्य में इस बीमारी के विकास के जोखिम को बढ़ा सकता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी महिला को प्रसवोत्तर थायराइडिटिस हुआ था, तो उसे बाद में फिर से थायराइड समस्या हो सकती है। आनुवंशिक कारक: पहली पीढ़ी की महिला रिश्तेदार (मां, बहन, बेटी) में थायराइड रोग का इतिहास होने पर जोखिम बढ़ता है।

थायराइड के प्रकार पर चर्चा करते हुए डॉ सिंह ने बताया कि थायराइड के अधिक सक्रिय (हाइपरथायरायडिज्म) या कम सक्रिय (हाइपोथायरायडिज्म) होने से शरीर के कार्यों में गड़बड़ी हो सकती है। हाशिमोटो रोग (हाइपरथायरायडिज्म)- यह थायराइड ग्रंथि में गाठों के रूप में प्रकट होता है। ग्रेव्स रोग (हाइपोथायरायडिज्म)-एक ऑटोइम्यून बीमारी, जिसमें गले में सूजन (गॉइटर), बाहर निकली आंखें, और निचले पैर के सामने सूजन होती है।

हाइपरथायरायडिज्म के लक्षणों में वजन घटाना, अनिद्रा, दिल की धड़कन का तेज होना, हाथ कांपना, गर्मी सहन करने में असमर्थता, पाचन तंत्र की गड़बड़ी है। जबकि हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण वजन बनाए रखने में कठिनाई, महिलाओं में भारी माहवारी, थकान महसूस करना, सूजन और कब्ज हैं।

डॉ केपी सिंह ने रोकथाम उपाय भी बताए। उन्होंने बताया कि समय पर निदान से थायराइड समस्याओं का बेहतर प्रबंधन संभव है। इसे रोकने के लिए उपाय किए जा सकते है जैसे संतुलित आहार- सप्ताह में कम से कम दो बार आयोडीन युक्त सलाद का सेवन करें। इसमें कच्चे शतावरी, पत्ता गोभी, एवोकाडो, हरी पत्तेदार सब्जियां, और सैल्मन जैसी मछलियों को शामिल करें। नियमित जांच- हार्मोनल संतुलन के लिए एंडोक्राइन ग्रंथियों की नियमित जांच कराएं। रेडिएशन से बचाव- किसी भी प्रकार के अत्यधिक रेडिएशन से बचें। डिस्टिल्ड पानी से बचाव- डिस्टिल्ड पानी का सेवन सीमित करें, क्योंकि यह शरीर से आवश्यक खनिजों को कम कर सकता है। केलेटेड सप्लीमेंट्स- केलेटेड खनिजों का उपयोग करें, जो शरीर द्वारा आसानी से अवशोषित होते हैं और थायराइड की समस्याओं में सहायक होते हैं।

डॉ के पी सिंह ने उपचार के बारे में बताया कि थायरॉयड विकारों का इलाज महंगा नहीं है, लेकिन इसे सावधानीपूर्वक थायरॉयड सुपरस्पेशलिस्ट या एंडोक्राइनोलॉजिस्ट के मार्गदर्शन में करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हाइपोथायरायडिज्म का इलाज साधारण तौर पर थाय्रॉक्सिन की खुराक से होता है, जिसे खाली पेट लेना चाहिए और गोली लेने के बाद 45 मिनट तक कुछ भी नहीं खाना चाहिए।

डॉ सिंह ने बताया कि बढ़ते बच्चों, नवजात शिशुओं में हाइपोथायरायडिज्म, गर्भावस्था के दौरान हाइपोथायरायडिज्म और वृद्ध मरीजों में गंभीर हाइपोथायरायडिज्म को विशेष ध्यान और नियमित मॉनिटरिंग की आवश्यकता होती है ताकि बेहतर परिणाम मिल सकें। दिल की बीमारी वाले मरीज जिन्हें हाइपोथायरायडिज्म या हाइपरथायरायडिज्म है, कभी-कभी कार्डियक अर्हिदमियास (arrhythmias) से बचने के लिए अस्पताल में भर्ती की आवश्यकता हो सकती है।

कुछ थायरॉयड दवाएं गर्भावस्था के दौरान भ्रूण के लिए हानिकारक हो सकती हैं। कुल मिलाकर, थायरॉयड विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में इलाज अत्यधिक लाभकारी और आर्थिक है।

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