*एफएसआईआई ने पंजाब में शुरू किया जागरूकता अभियान*
*हाईब्रिड किस्मों से कम होगी पानी की खप्त, बढ़ेगा उत्पादन*
जीरकपुर। फैडरेशन ऑफ सीड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया ने पंजाब के किसानों को आह्वान किया है कि वह धान की खेती के पारंपरिक तरीको को छोड़कर हाइब्रिड चावल की किस्मों को पैदा करें जिससे उनकी आमदन भी बढ़ेगी और पर्यावरण का भी संरक्षण होगा।
एफएसआईआई के अध्यक्ष एवं सवाना सीड्स के सीईओ अजय राणा ने कहा कि वर्तमान में 75 लाख एकड़ चावल क्षेत्र में से केवल तीन से साढ़े तीन लाख एकड़ में ही उच्च उपजाऊ चावल की खेती की जाती है। वर्तमान में पंजाब में हाईब्रिड चावलों की खेती की अपार संभावनाएं हैं।हाई-यील्डिंग और स्ट्रेस टोलेरंट बीज किस्मों से चावल की उत्पादकता में 15-20 प्रतिशत तक उत्पादन में वृद्धि कर सकता है। इस किस्मों में सामान्य व प्रचलित किस्मों के मुकाबले 30 प्रतिशत कम पानी लगता है। जो पंजाब में घटते भूजल स्तर के लिए भी लाभप्रद है।
उन्होंने कहा कि देश मे 2031 तक करीब 150 मिलियन टन चावल की मांग होगी, जिसे पूरा करने में पंजाब के किसानों की भूमिका अहम होगी। उन्होंने कहा कि हाइब्रिड राइस पराली जलाने की समस्या को कम करने और फसल कटाई के बाद बेहतर पराली प्रबंधन में सहायक है। वर्तमान हालातों में बीज उद्योग का फोकस उच्च उपजाऊ और पर्यावरण अनुकूल बीज प्रजनन पर है।
बलजिंदर सिंह नंदरा, सदस्य एफएसआईआई, उपाध्यक्ष, सरकार एवं नियामक मामले, सीडवर्क्स इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड ने कहा कि हमारे बीज प्रजनन नवाचारों पर ध्यान केंद्रित करके, हम किसानों को ऐसे बीज प्रदान कर रहे हैं जो न केवल उच्च उपजाऊ हैं, बल्कि जलवायु-लचीले भी हैं।"
सिंह ने कहा कि पंजाब के किसान सालाना लगभग 12.5 मिलियन टन चावल का उत्पादन करते हैं। कई लोग अपरिचित बीजों और प्रौद्योगिकियों को अपनाने से सावधान रहते हैं कि यह सोचते हुए कि इससे उपज में अस्थिरता या उच्च लागत हो सकती है। सिंहने कहा कि "नई किस्मों को अपनाने की प्रक्रिया किसानों के लिए एक सुगम यात्रा होनी चाहिए, जिसमें शिक्षा और क्षेत्रीय प्रदर्शन शामिल हों। कार्यक्रम में उपस्थित पंजाब के प्रगतिशील किसान परमजीत सिंह ने कहा कि नए बीजों और तकनीकों के साथ जुड़े जोखिमों को बिना किसी मजबूत समर्थन के छोटे किसानों के लिए उठाना मुश्किल है। प्रशिक्षण, वित्तीय सहायता और उद्योग विशेषज्ञों से वैज्ञानिक अंतर्दृष्टि हमारे लिए इन टिकाऊ तरीकों को अपनाने के लिए महत्वपूर्ण हैं।