इलाज में देरी से बच्चे की रीढ़ की हड्डी खराब हो सकती है, जिससे उसके हृदय और फेफड़ों की कार्यप्रणाली प्रभावित हो सकती है
फोर्टिस अस्पताल मोहाली के ऑर्थोपेडिक्स स्पाइन विभाग के स्कोलियोसिस डिवीजन ने दुर्लभ और तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण सर्जरी करके पेडियाट्रिक्स स्पाइनल डिफॉर्मिटिस से पीड़ित नाबालिग बच्चों के जीवन को बदल दिया है, जो उत्तरी क्षेत्र में अपनी तरह की पहली सर्जरी है।
फोर्टिस अस्पताल मोहाली के ऑर्थोपेडिक्स स्पाइन विभाग के एडिशनल डायरेक्टर डॉ. दीपक जोशी ने काइफोसिस, एडोलसेंट आइडियोपैथिक स्कोलियोसिस, कंजेनिटल(जन्मजात) स्कोलियोसिस और न्यूरोमस्कुलर स्कोलियोसिस जैसी बीमारियों से पीड़ित कई नाबालिग रोगियों का इलाज किया है।
स्कोलियोसिस रीढ़ की हड्डी का एक तरफ़ से मुड़ा हुआ वक्रता है और इसका निदान अक्सर किशोरों में किया जाता है।यह आमतौर पर आइडियोपैथिक होता है, जिसका अर्थ है कि यह किसी विशेष कारण से नहीं होता है।
पहले मामले में, बठिंडा का एक 14 वर्षीय लड़का जन्मजात हेमीवर्टेब्रा (उसकी रीढ़ की हड्डी का एक हिस्सा विकसित नहीं हो रहा था) के साथ पैदा हुआ था, जिसके कारण इस लड़के की पीठ के मध्य भाग में गंभीर मोड़ आ गया था, जिससे उसे आगे की ओर झुकना और बगल की ओर झुकना पड़ता था। उपचार में देरी से बच्चे में एक विचित्र विकृति पैदा हो सकती थी, जिससे उसके विकास, महत्वपूर्ण अंगों पर असर पड़ता।
डॉ. जोशी के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने हाल ही में 4 घंटे की सर्जरी के दौरान युवा मरीज पर ‘हेमी-वर्टेब्रा एक्सीशन और काइफोस्कोलियोसिस करेक्शन’ की एक दुर्लभ प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। सर्जरी के अगले दिन ही बच्चा चलने लगा और तीन दिन बाद उसे बिना ब्रेस के अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। वह पूरी तरह से ठीक हो गया है और आज सामान्य जीवन जी रहा है।
एक अन्य मामले में, राजस्थान के श्रीगंगानगर में रहने वाले 14 वर्षीय लड़के का जन्म रीढ़ की हड्डी के 'जन्मजात काइफोसिस' के साथ हुआ था, जिसमें गर्भ में बच्चे की रीढ़ की हड्डी का स्तंभ ठीक से विकसित नहीं हुआ था। डॉ. जोशी ने रोगी पर 'पेडिकल सबट्रैक्शन ऑस्टियोटॉमी (पीएसओ)' किया, जिससे विकृत रीढ़ की हड्डी को ठीक किया गया। बच्चा अगले दिन चलने में सक्षम हो गया और तीसरे दिन उसे छुट्टी दे दी गई।