चंडीगढ़ - पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने रावी -ब्यास के पानी से अधिक से अधिक फ़ायदा उठाने को यकीनी बनाने के लिए केंद्र से अपील की है और इसके साथ ही पंजाब से पाकिस्तान की ओर जाते पानी के बहाव को रोकने के लिए तौर-तरीके ढूँढने के लिए माहिरों का तकनीकी पैनल गठित करने का सुझाव दिया है ।
आज यहां पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मसले पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की तरफ से लिखा गया पत्र अभी उनको नहीं मिला परंतु इसके साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार राज्य के लिए ओैर पानी सुरक्षित करनेे के लिए सभी संभावी कदम उठाऐगी।
पाकिस्तान को पानी के बहाव का कारण बफऱ् के पिघलने के नतीजे के तौर पर रावी, ब्यास और सतलुज नामक तीन नदियों में पानी का स्तर बढऩे का जिक्र करते हुए कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि उन्होंने जल संसाधन केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिखकर पाकिस्तान को पानी का बहाव रोकने के लिए हिमाचल प्रदेश में डैमों में अतिरिक्त पानी के भंडारण का सुझाव दिया है। हिमाचल प्रदेश में स्टोर किये सभी पानी को नियंत्रित करने का सुझाव देते हुए मुख्यमंत्री ने इस मामले में केंद्र की तरफ से पहलकदमियां किये जाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया है।
गौरतलब है कि इंडस जल समझौते 1960 के अधीन रावी, ब्यास और सतलुज नदियों में उपलब्ध पानी का बिना रोक -टोक प्रयोग करने की भारत को आज्ञा मिली थी । ओजह, जल्यालिया, तरना आदि जैसी ट्रब्यूटरियों के द्वारा रावी का बड़ी मात्रा में पानी अंतरराष्टी्रय सरहद को पार कर रहा है । रावी नदी के अंतरराष्ट्रीय सरहद पार करने वाले पानी की मात्रा 0.58 एमए एफ का अनुमान लगाया गया था। पंजाब सरकार ने 2015 में एक रिपोर्ट पेश करके इसके दो विकल्प सुझाए थे। पहला, मकोरा पत्तन से यू बी डी सी में पानी को पंप करना जो 30 किलोमीटर फासले पर 85 फुट की लिफ्टिंग के साथ 79000 फूट आर डी के साथ सम्बन्ध था । दूसरा, जैनपुर से यू बी डी सी में पानी पंप करना जो 32 किलोमीटर के फासले पर 96 फूट की लिफ्टिंग के साथ 79000 आर डी के साथ सम्बन्ध था।
3 मार्च, 2017 को भारत सरकार ने जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा पुर्न उत्थान के सचिव की अध्यक्षता अधीन केंद्रीय के साथ कमिशन और सिंचाई विभाग से सबंधित अधिकारियों की राष्ट्रीय प्रोजेक्टों को लागू करने के लिए एक उच्च स्तरीय स्टीयरिंग कमेटी गठित की । इसने प्रस्तावित दूसरे रावी -ब्यास लिंक प्रोजैक्ट के स्थान का दौरा करना था और इसकी संभावना संबंधी अपनी रिपोर्ट पेश करनी थी । इस टीम ने 5 दिसंबर, 2017 को इस स्थान का दौरा किया और देश के हित में रावी के पानी का अधिक से अधिक प्रयोग करने के लिए सोच बनाई। इसका विचार था कि रावी, ब्यास और सतलुज नदियों के अनुपयोग पानी के प्रयोग के लिए अधिक से अधिक संभावना है और रावी का पानी ब्यास को तबदील करने की तकनीकी संभावना है।