सदियों से हम सुनते आ रहे है की कंटेंट ही किंग है और आज के दौर में देखा जाए तो न्यूज़ कंटेंट ही असली किंग है। लेकिन दुर्भाग्य से न्यूज़ अब भी प्रीमियम कंटेंट की तरह ज़्यादातर टियर १ शहरों से प्राप्त होता है, जबकि असल भारत टियर २ और टियर ३ शहरों में रहता है, जहाँ पर प्रोपर वेबसाइट ना होने के कारण इन शहरों की न्यूज़ पूरे देश तक तो क्या उनके अपने शहरवासिओं तक भी नहीं पहुंच पाती।
ऐसे में गुड न्यूज़ यह है की न्यूज़ हेल्पलाइन, जो की मीडिया इंडस्ट्री में एक विश्वसनीय नाम है, छोटे शहरों के ऑफलाइन लोकल न्यूज़ पब्लिशर्स और रिपोर्टर्स को ऑनलाइन लाने का काम कर रही है। न्यूज़ हेल्पलाइन इन सभी को ऑनलाइन प्रेसेंस यानि की डिजिटल पहचान देगी उनकी अपनी वेब साइट्स के माध्यम से।
संजय तिवारी, न्यूज़ हेल्पलाइन के फाउंडर ने अपने स्टेटमेंट में बताया, "आज के नए डिजिटल इंडिया में ऑफलाइन न्यूज़ पब्लिशर्स धीरे धीरे ख़त्म होते जा रहे है। 2015 में मोदी जी ने डिजिटल इंडिया कैंपेन शुरू किया था और 2016 में जिओ ने देश भर में इंटरनेट को सबके पास एक्सेसिबल करवा कर पुरा सिनेरिओ ही बदल था। RNI (रजिस्ट्रार ऑफ़ न्यूज़ पेपर्स इन इंडिया) के हिसाब से भारत में 118000 रजिस्टर्ड पब्लिशर्स है जिसमे से 18000 न्यूज़ पेपर्स और मैगजीन्स है। लेकिन एक सर्वे करने के बाद हमने जाना कि डिजिटल इंडिया कैंपेन और जिओ टेक्नोलॉजी के बावजूद यहाँ सिर्फ 2% से 3 % न्यूज़ पेपर्स और मैगजीन्स के पास ही ऑनलाइन प्रजेंस है और बाकी 97 % से 98 % न्यूज़ पेपर्स और मैगजीन्स आज भी ऑफलाइन ही काम कर रहे है। ये न्यूज़ पेपर्स और मैगजीन्स बहुत मुश्किल से सर्वाइव कर पा रहे है और धीरे धीरे बंद हो रहे है।"
ऑफलाइन पब्लिशर्स की मुश्किलों के बारे में और बात करते हुए संजय ने बताया, "एक मजबूत लोकल नेटवर्क होने के बावजूद भी लोकल न्यूज़ पब्लिकेशन्स बंद हो रही है। ऐसा हाई प्रिंटिंग कॉस्ट, रीडर्स का डिजिटल होना ,टेक्निकल नॉलेज के अभाव, पुख्ता रेवेनुए मॉडल की कमी और न्यूज़ एजेंसी के हाई सब्सक्रिप्शन रेट्स के कारण हो रहा है।"
ऐसे में न्यूज़ हेल्पलाइन क्यों और किस तरह से ऑफलाइन पब्लिशर्स की मदद कर पाएगी? संजय ने बताया कि "न्यूज़ हेल्पलाइन देश भर में लोकल रिपोर्टर्स और ऑफलाइन न्यूज़ पब्लिशर्स को उनकी अपनी एक वेबसाइट, बना कर देगी जिसके फीचर्स बेहतरीन होने के साथ साथ गूगल एनालिटिक्स फ्रेंडली भी होंगे। इसके अलावा न्यूज़ हेल्पलाइन टेक्निकल सपोर्ट के साथ साथ कंटेंट और रेवेन्यू में भी मदद करेगी। लोकल न्यूज़ का एक इकोसिस्टम खड़ा करना बहोत ही ज़रूरी है क्यों की लोकल न्यूज़ कम्युनिटीज को और पास ले आता है. लोकल न्यूज़ अपडेट्स आप को अपना दिन प्लान करने में भी अहम् रोल अदा करते है. संक्षिप्त में कहें तो लोकल न्यूज़ आप को अपनी मिटटी से, अपने शहर से जोड़े रखता है।"
मीडिया, ब्रांड्स और एडवरटाइजर के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए संजय ने कहा, "इतने सालो के एक्सपीरियंस और नॉलेज से हमने ये जाना की मीडिया और एडवरटाइजिंग इंडस्ट्री के डिमांड और सप्लाई के बीच एक बड़ा गैप है। एडवरटाइजर, ऑनलाइन पब्लिशर्स के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचना चाह रहे है लेकिन उनकी यह डिमांड पूरी नहीं हो पा रही है क्यूंकि अधिकतर पब्लिशर्स टियर 1 सिटीज में ही है। टियर 2 और टियर 3 सिटीज में पब्लिशर्स की मात्रा बहुत कम है और जो भी थोड़े बहुत है वो एडवरटाइजर के साथ डायरेक्टली जुड़ नहीं पाते जिसकी वजह से एडवरटाइजर का लोकल लेवल पर काफी नुक्सान होता है। न्यूज़ हेल्पलाइन इसी गैप को जोड़ने का काम करेगी। हम टियर 2 और टियर 3 सिटीज के पब्लिशर्स को नेशनल और ग्लोबल ब्रांड के साथ जोड़ने का काम करेंगे। "
एक ट्रस्टेड न्यूज़ एजेंसी के साथ साथ न्यूज़ हेल्पलाइन अब एक SaaS कंपनी भी है जो एक ऐसा बिज़नेस मॉडल खड़ा कर रही है जिस के माध्यम से एडवरटाइजर और लोकल न्यूज़ पब्लिशर मिलकर अपने बिज़नेस को आगे बढ़ाएंगे। यह कदम प्रधान मंत्री के 'वोकल फॉर लोकल' इनिशिएटिव से मेल खाता है।
और जानकारी के लिए उनकी वेबसाइट www.newshelpline.com पर क्लिक करे और 'आत्मनिर्भरता' की ओर अपने कदम बढ़ाये।