पटना – नई तरह की टेक्नालजी और नई तकनीकों को अपना के ही नये बदलाव लाए जा सकते हैं, इस बात को समय रहते चन्द्रा दंपति ने महसूस कर लिया था, और इसी सोच को एक रूप देने के लिए रेल रेस्तरो को बनाया गया।
मनीष चंद्रा और इनकी धर्म पत्नी सुमन प्रिया ने 5 साल पहले 2015 मे रेल रेस्तरो की शुरुआत की।
"जिस वक़्त मे नव-दंपति साथ मे वक़्त बिताने और लाइफ प्लॅनिंग करते हैं उन दिनों में मैं और सुमन दोनो मिलकर सुबह से देर रात तक रेल रेस्तरो को लॉंच करने के लिए काम मे लगे रहते थे, शुरुआत में कई बार हिम्मत भी टूटी लेकिन कस्टमर्स के रिस्पांस और हमारी टीम के अथक प्रयासों ने रंग लाया और हम आज इंडियन रेलवेस में देश के सबसे बड़े फूड डेलीवरी सर्विस प्रवाइडर हैं। "ये बताते हुए मनीष चंद्रा और सुमन प्रिया कई बार भावुक हो जाते हैं"।
बिहार से शुरुआत – शुरुआत से इंडियन रेलवे मे खाने की कई समस्याएँ रहीं है, हम भी जब ट्रॅवेल करते थे तब देखते थे पॅसेंजर्स जिन्हे दूर तक का सफ़र करना होता था, वो लोग अच्छे खाने के लिए बहुत परेशन होते रहे थे। यह उन दिनों महानगरों मे फूड डेलीवरी एप्स की शुरुआत हो चुकी थी और लोगों के पास ये सुविधा थी की लोग आराम से अपने घर मेरे रेस्टोरेंट का खाना मंगवा लेते थे। लेकिन ये छोटे शहरों में और ट्रेंस मे ये बात तब के लिए मुश्किल था क्यूं की डिजिटली तब लोग बहुत अवेर नहीं थे और ये बहुत मुश्किल था पूरी तरह से ट्रेन मे ऑन लाइन फूड डिलिवरी करना।
हालाँकि, अब डिजिटल वक़्त आ रहा है और इंटरनेट क्रांति भारत मे आई जिस से ऑनलाइन फूड डिलिवरी को बहुत पुश मिला. धीरे-धीरे हम पूरे भारत में अपने रेस्टोरेंट की चेन बना कर सारे बड़े रेलवे स्टेशन पर एक्टिव होते चले गये। आज हम लोग देश के लगभग सारे रेलवे स्टेशन्स मे लाईव हैं। हमारी सर्वीसज़ आज पूरे देश मे ट्रेन ट्रेवलेर्स के बीच मशहूर है।
अभी तक हम लगभग 50 लाख मील्स ट्रेन मे सर्व कर चुके हैं और हमारा कस्टमर रिटेंशन रेट 35% के आसपास है जोकि एक ट्रेन फूड सर्वीसज़ के लिए रिमार्केबल है। हमें बहुत अच्छा लगता है जब कस्टमर्स के फीड बैक आता हैऔर वो बताते हैं कि उनका ट्रेन जर्नी हमने बेहतर बना दिया। हमने ट्रेन के लिए सिर्फ़ टिपिकल फूड ही नहीं बल्की चाइनीस, कॉन्टींनेंटल, बेकरी, पिज़्ज़ा एंड फास्ट फूड जैसे चीज़ों को भी ट्रेन में उपलब्ध करवाये हैं ताकि किसी भी कस्टमर को किसी प्रकार के फूड के लिए क्रेविंग्स ना हो और ये ना सोचें की काश ट्रेन मे ना होते तो रेस्टोरेंट मे जाते।
हमारी टीम की भरसक यही प्रयत्न रहता है की हम रेस्तरां के हर एक खाने को ट्रेन मे डिलिवरी कर सकें। हाल ही में हमने बेबी फूड जैसे की दाल-खिचड़ी, फ्रूट सलाद और हॉट मिल्क व्गरह को भी अपने मेन्यू में शामिल किया है ताकि वो माताए जो की छोटे बच्चों के साथ ट्रॅवेल करती हैं उन्हे पूरी तरह से ऐसे हेल्दी फूड ऑप्शंस प्रवाइड किए जा सकें.
बिहार से शुरुआत करने के दो मुख्य रीजन थे – पहला तो ये की हम इसी मिट्टी से हैं और हमे जो भी कुछ मिला है तो जब इसे वापस कुछ देने का वक़्त आया तो हम क्यू पीछे हटें। दूसरी ये बात थी की हमारे प्रदेश के पढे लिखे युवा अपनी डिग्री पूरी करके जॉब के तलाश मे बाहर जाते हैं, तो हमने ये भी सोचा की क्यों ना यहीं के लोगों के साथ शुरूआत की जाए। हमने अपने दिल की ही बात सुनी और आज पूरी तरह से सक्सेसफुल हैं, लोग नेश्नल लेवल पर जानते हैं, कई तरह के सम्मान और अवॉर्ड्स भी हमे मिले और ये देख के बहुत अच्छा लगता है की जब लोग कहते हैं की ये स्टार्ट अप बिहार से हैं और हम बिहारी हैं।
ह्मारे इस प्रयास को बिहार सरकार का भी सहयोग मिला और हमे स्टार्ट-अप ग्रांट प्रदान किया गया था तथा साथ ही साथ हमे स्टार्ट-अप इंडिया से रेकग्निशन भी मिली। हमारा ऑर्गनाइज़ेशन आज बहुत ही अच्छा कर रहा है और हमे इस बात की बहुत ही खुशी है।
मेरा मेसेज है – अपना पैशन फॉलो करें। लाइफ मे वही करें जिसमे आपको कुछ विजन दिखता हो। लाइफ कोई ज़ी लें लेकिन फ़ैसले सोच समझ के लें। अगर संभव है तो अपनी मिट्टी को अपने राज्य को अपने देश को ज़रूर अपने कर्तव्य परायणता से कुछ वापस करें।
स्टार्टआप्स शुरू करने वाले लोगों को मेरा यही मेसेज है की जीवन मे रिस्क लेना शुरू करें. नये सोच और नये नज़रिए से ही नयी तकनीकों और सहूलियतों को जीवन मे लाया जा सकता है। कई बार हमे ये लगता है की हम जाने सफल हो पाएँगे या नही, लेकिन धीरे-धीरे और हिम्मत के साथ सूझ बूझ लगा के चलने से ही कुछ बड़ा हासिल किया जा सकता है।