क्या आपको लगता है कि गेमिंग सिर्फ़ डिजिटल मनोरंजन का एक साधन है? भारत के रियल-मनी गेमिंग प्लेटफ़ॉर्म इससे सहमत नहीं हैं।
जो कभी मीटिंग्स के बीच टाइम पास करने या डिनर के बाद आराम करने का एक तरीका हुआ करता था, वो अब देश की डिजिटल इकॉनमी का सबसे तेजी से बढ़ता हिस्सा बन चुका है। रमी टेबल्स से लेकर फैंटेसी क्रिकेट लीग तक, इन प्लेटफॉर्म्स पर लाखों इंडियंस कंपटीशन, कम्युनिटी या कैश के लिए लॉग इन कर रहे हैं।
भारत की सबसे दमदार डिजिटल रेवोल्यूशन्स में से एक इन लॉग इन्स का कारण है। स्किल-बेस्ड गेमिंग प्लेटफॉर्म्स जैसे कैश रमी और फैंटेसी गेमिंग, कई पुराने क्षेत्रों की तुलना में कही अधिक तेजी से बढ़ रहे हैं। ये न सिर्फ उद्योग पैदा कर रहे हैं, बल्कि देश का रोज़गार और GDP में भी बड़ा योगदान दे रहे हैं, साथ ही टेक इंफ्रास्ट्रक्चर को भी मजबूत कर रहे हैं। जैसे-जैसे सरकार ट्रिलियन-डॉलर डिजिटल इकॉनमी की ओर बढ़ रही है, गेमिंग धीरे धीरे सबसे एहम कड़ी बन चुका है इस इकॉनमी का।
एक तेजी से बढ़ता मार्केट, जिसकी वैल्यू अरबों डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है
सस्ते स्मार्टफोन और डेटा की बदौलत, भारत के पास अब 591 मिलियन का मजबूत गेमिंग यूज़र बेस है। ये प्लेयर्स, जो दुनिया के करीब 20% गेमर्स बनाते हैं, हर साल 11 बिलियन से ज़्यादा मोबाइल गेम्स डाउनलोड करते हैं।
Rummyprime जैसे प्लेटफार्म पर स्किल-बेस्ड गेम्स जैसे रमी के लिए रियल-मनी गेमिंग इस सेगमेंट पर छाई हुई है और ये 86% मार्केट शेयर पर कब्जा जमाए हुए हैं। हालांकि रमी एक पारंपरिक टाइम पास एक्टिविटी रही है, लेकिन अपने डिजिटल अवतार में इसने ऑनलाइन जबरदस्त पॉपुलैरिटी हासिल की है, कई मॉडर्न प्लेटफार्म करोड़ों रजिस्टर्ड प्लेयर्स होने का दावा करते हैं।
सिर्फ इंडिविजुअल गेम्स या ऐप्स ही नहीं, बल्कि पूरा गेमिंग सेक्टर एक हाइ-ग्रोथ इंडस्ट्री के रूप में उभर कर सामने आया है। अनुमान है कि ये इंडस्ट्री 2028–2029 तक $9 बिलियन का आंकड़ा पार कर लेगी। सरकार की इन्वेस्टमेंट एजेंसीज भी इस सेक्टर को लेकर काफी पॉजिटिव हैं और उम्मीद जताई जा रही है कि ऑनलाइन गेमिंग इकोसिस्टम 2026 तक ₹388 बिलियन को पार कर जाएगा।
ऐसे लंबे समय के प्रोजेक्शन काफी एंबिशियस जरूर हैं, लेकिन ये इस सेक्टर में लगातार हो रही ग्रोथ को लेकर एक मजबूत भरोसा दिखाते हैं। सबसे अहम बात ये है कि गेमिंग की आर्थिक अहमियत सिर्फ कमाई तक सीमित नहीं है, ये देश की GDP और डिजिटल इकॉनमी के विस्तार में भी बड़ा रोल निभा रही है। 2019 से 2022 के बीच, इस सेक्टर का भारत की GDP में हिस्सा 27.45% की CAGR से लगातार बढ़ा। सरकारी अधिकारियों का मानना है कि ये ग्रोथ ट्रेंड उस बड़े डिजिटल बूम का हिस्सा है, और उनका विश्वास है कि ऑनलाइन गेमिंग आने वाले वक्त में इसकी ग्रोथ को और तेज़ करने वाला एक बड़ा इंजन बनेगा।
पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने यह भी कहा कि ऑनलाइन गेमिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मिलकर 2026-27 तक भारत के GDP में 300 अरब डॉलर तक का योगदान दे सकते हैं। ये साहसिक दृष्टिकोण इस उद्योग पर रखी गई उच्च उम्मीदों को दर्शाते हैं।
ऑनलाइन गेमिंग बना है रोजगार का नया शक्ति केंद्र
रुपयों और डॉलरों से परे, ऑनलाइन गेमिंग उद्योग भारत के डिजिटल परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण रोजगार सृजनकर्ता भी है। 2021 में इस क्षेत्र में लगभग 40,000 लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला था। 2023 तक यह संख्या बढ़कर 1,00,000 हो गई, और 2025 तक इसके 2,50,000 तक पहुंचने की उम्मीद है। केवल दो वर्षों में लगभग 150% की यह चौंकाने वाली वृद्धि गेम डेवलपमेंट, डिजाइन, प्रोडक्ट मैनेजमेंट और मार्केटिंग जैसी भूमिकाओं में की जा रही भर्तियों को शामिल करती है।
उद्योग से जुड़े संगठनों का कहना है कि ऑनलाइन गेमिंग में नौकरियां सॉफ्टवेयर इंजीनियर और डेटा साइंटिस्ट जैसे पढ़ाई पर आधारित कामों से लेकर एनीमेटर और UX डिज़ाइनर जैसे रचनात्मक कामों तक होती हैं। ऐसे तरह-तरह के हुनरमंद लोगों की ज़रूरत ही डिजिटल अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाती है।
इस क्षेत्र में स्टार्टअप और निवेशकों की बढ़ती दिलचस्पी भी इस इंडस्ट्री की संभावनाओं की गहरी झलक देती है। भारत में 1,900 से ज्यादा गेमिंग कंपनियां हैं, छोटे-छोटे इंडी स्टूडियो से लेकर अरबों की यूनिकॉर्न कंपनियों तक। 2024 तक कम से कम तीन ऑनलाइन गेमिंग स्टार्टअप यूनिकॉर्न बन चुके हैं और उन्हें अच्छा खासा वेंचर कैपिटल और विदेशी निवेश मिला है।
यह बात ध्यान में रखने लायक है कि/ भी काबिले-गौर है कि बड़े और स्थापित खिलाड़ी नई पीढ़ी के स्टार्टअप्स को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। वे नए इनोवेटर्स को मार्गदर्शन देने और फंडिंग करके रोजगार और उद्यमिता के नए अवसर तैयार कर रहे हैं। स्टार्टअप्स से और भी नए स्टार्टअप्स का जन्म होना एक सकारात्मक चक्र बनाता है, जिससे एक बात साफ हो जाती है, ऑनलाइन गेमिंग का असर भारत में सिर्फ बड़ी कंपनियों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह रोजगार और आर्थिक गतिविधियों को और भी व्यापक स्तर पर प्रभावित करेगा।
गेमिंग से प्रेरित बुनियादी ढांचे और तकनीकी नवाचार में तेजी
लाखों यूज़र्स को एक साथ संभालने और पैसों से जुड़ी लेनदेन को सुरक्षित बनाने के लिए गेमिंग कंपनियों ने मज़बूत आईटी सिस्टम तैयार किए हैं, जिनमें क्लाउड सर्वर, पेमेंट गेटवे और फ्रॉड डिटेक्शन जैसे तंत्र शामिल हैं। भारतीय गेमिंग कंपनियां लोकल ज़रूरतों के अनुसार अपनी खुद की टेक्नोलॉजी भी विकसित कर रही हैं, जैसे बड़े क्रिकेट फैंटेसी टूर्नामेंट के दौरान हाई ट्रैफिक को संभालना या ऑनलाइन रम्मी में कार्डों की निष्पक्ष शफलिंग सुनिश्चित करना।
ये गंभीर अनुसंधान और विकास (R&D) प्रयास हैं, जो सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट इनोवेशन के क्षेत्र में भारत की बढ़ती पहचान में योगदान दे रहे हैं। सुरक्षित और स्केलेबल टेक्नोलॉजी पर ज़ोर देने की एक वजह RMG (रीयल मनी गेमिंग) की प्रकृति भी है। जब असली पैसे दांव पर होते हैं, तो भरोसेमंदी और निष्पक्षता सबसे ज़्यादा जरूरी हो जाती है। इसी कारण प्लेटफॉर्म्स ने एडवांस्ड एंटी-चीटिंग और एंटी-कोलूजन तकनीकों को अपनाया है, जहां अक्सर AI और डेटा एनालिटिक्स की मदद से गेमप्ले की निगरानी की जाती है।
ये कंपनियाँ भारत के डिजिटल पेमेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर का भी भरपूर इस्तेमाल करती हैं। UPI और मोबाइल वॉलेट्स के व्यापक उपयोग से ऑनलाइन गेमिंग को सीधा फ़ायदा मिला है, खिलाड़ियों के लिए एंट्री फ़ीस भरना या जीत की राशि हासिल करना अब बेहद आसान हो गया है। इसके बदले में, गेमिंग की बढ़ती लोकप्रियता फिनटेक, क्लाउड सेवाओं और साइबर सुरक्षा जैसे सहायक क्षेत्रों को भी तेज़ी से आगे बढ़ा रही है।
फिर ऐसे भारतीय गेमिंग स्टार्टअप्स भी हैं जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के साथ प्रयोग कर रहे हैं, गेम डिज़ाइन में Web3 की सीमाओं को आगे बढ़ा रहे हैं और ऐसी टेक्नोलॉजी विकसित कर रहे हैं जो वैश्विक स्तर पर इस्तेमाल हो सकती है। देश में 1,400 से ज़्यादा गेमिंग स्टूडियो होने के साथ, एक सक्रिय डेवलपर समुदाय ग्राफ़िक्स, गेमप्ले और यूज़र एंगेजमेंट तकनीकों में लगातार नए मुक़ाम हासिल कर रहा है।
मनोरंजन से डिजिटल अर्थव्यवस्था में नेतृत्व तक
हाल की घटनाएँ इस बात का सबूत हैं कि भारत में ऑनलाइन गेमिंग अब सिर्फ खेलने तक सीमित नहीं रही। यह नौकरियों, आय और तकनीकी नवाचार के रूप में वास्तविक मूल्य पैदा कर रही है। चाहे वह कोई युवा डेवलपर हो जो अगला हिट रम्मी ऐप बना रहा है, कोई इन्फ्लुएंसर हो जो फैंटेसी क्रिकेट टिप्स स्ट्रीम कर रहा है, या कोई डेटा सेंटर जो किसी गेमिंग क्लाइंट को सपोर्ट करने के लिए अपने सर्वर अपग्रेड कर रहा है, इसके प्रभाव साफ़ हैं और अब इन्हें रोका नहीं जा सकता।
फिनटेक पेमेंट्स में क्रांति ला रहा है और OTT कंटेंट के तरीकों को बदल रहा है, उसी तरह गेमिंग भी अगला बड़ा डिजिटल क्षेत्र बनकर उभर रहा है। अगर मौजूदा रुझान जारी रहे, तो 2025 से 2030 के बीच का समय वास्तव में ऑनलाइन गेमिंग को भारत की प्रमुख आर्थिक विकास शक्तियों में से एक के रूप में स्थापित कर सकता है, क्योंकि यह क्षेत्र विश्वसनीय, बड़ा और टिकाऊ है।