चंडीगढ़:--हिंदू धर्म में सभी त्योहारों का विशेष महत्व है। उन्हीं में से एक त्योहार है अहोई अष्टमी का। अहोई अष्टमी का व्रत माताएं अपनी संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए करती हैं। कहा जाता है कि इस दिन से दिवाली पर्व की भी शुरुआत हो जाती है। यह व्रत करवा चौथ के चार दिन बाद रखा जाता है। इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला उपवास करती हैं और अपनी संतान की लंबी आयु के लिए मंगल कामना करती हैं। किन्नर मंदिर बापूधाम सेक्टर 26 में भी अहोई अष्टमी माता पर्व के उपलक्ष्य में किन्नर माता मंदिर की प्रमुख महंत कमली माता (पुजारिन) के सान्निध्य में 5 ब्राह्मणों द्वारा भैरव पूजन और सती माता का यज्ञ आहुति के साथ विशेष पूजन किया गया और बच्चो की लंबी आयु और मंगल कामना की गई।
किन्नर माता मंदिर की प्रमुख महंत कमली माता (पुजारिन) ने बताया कि हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। अहोई अष्टमी का व्रत माताएं अपनी बच्चों की रक्षा उनकी सुख समृद्धि की कामना के लिए रखती है। इस दिन माता निर्जला रहकर माता स्याही से अपनी संतान की दीर्घायु की कामना करती हैं। उन्होंने आगे बताया कि अहोई अष्टमी व्रत की बड़ी महिमा बताई जाती है। कहते हैं जो माता सच्चे मन से ये व्रत रखती है, उसकी संतान के जीवन में सदैव खुशहाली बनी रहती है। इस दिन शाम की पूजा में अहोई साही और उसके बच्चों की कहानी जरूर सुननी चाहिए।
अहोई माता को मां पार्वती का रूप माना जाता है। इन्हें संतानों की रक्षा और उनकी लंबी उम्र प्रदान करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। इनकी पूजा करने से महिलाओं की कुंडली में ऐसे योग बन जाते हैं, जिससे बंध्या योग, गर्भपात से मुक्ति, संतान की असमय मृत्यु होना एवं दुष्ट संतान योग आदि सभी कुयोग समाप्त हो जाते हैं।