मासिक बैठकों के निरंतर 25 वर्षों की रजत जयंती पर दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन।
प्राचीन कला केंद्र द्वारा पिछले 25 वर्षों से लगातार चली आ रही मासिक बैठकों के रजत जयंती के अवसर पर केंद्र की 300वी मासिक बैठक का आयोजन 10और 11 अक्टूबर को किया जा रहा है । दो दिवसीय मासिक बैठक की रजत जयंती के पहले दिन प्रतिभाशाली देबसागर मलिक ने संतूर वादन तथा एवं जाने माने कलाकार उस्ताद बाबर लतीफ़ ने तबला वादन पेश किया। आज के कार्यक्रम का आयोजन गुरु एम एल कौसर सभागार में सायं 6 :30 बजे से किया गया।
देबसागर मलिक ने सात वर्ष की आयु में संगीत की शिक्षा ग्रहण करनी शुरू की और श्री तपन मजूमदार से संतूर वादन सीखना शरू किया इसके उपरांत पंडित तरुण भट्टाचार्य के शिष्यत्व में संतूर की विधिवत शिक्षा ग्रहण की और अब भी कर रहे हैं। रियाज़ एवं निरंतर अभ्यास के परिणामस्वरूप संतूर में महारत हासिल करने वाले देबसागर को आल इंडिया रेडियो से बी हाई ग्रेड मिला। इन्होने प्राचीन कला केंद्र से विशारद का डिप्लोमा भी प्राप्त किया है। युवा और प्रतिभाशाली देबसागर अपनी प्रतिभा के दम पर नयी सफलता को हासिल कर रहे हैं।
दूसरी ओर संगीतिक परिवार से सम्बंधित उस्ताद बाबर लतीफ़ एक सधे हुए तबला वादक हैं दिल्ली घराने के प्रसिद्द तबला वादक उस्ताद लतीफ़ अहमद खान के पुत्र बाबर लतीफ़ ने अपने पिता से ही तबला वादन की शिक्षा प्राप्त करनी शुरू की इसके उपरांत उस्ताद मुन्ना खान साहिब से विधिवत गंडाबांध शिष्य के रूप में तबला वादन सीखा और अपने घराने का नाम ऊँचा कर रहे हैं। एकल प्रस्तुतियों के इलावा इन्होने बहुत से दिग्गज कलाकारों के साथ संगत की है।
आज के कार्यक्रम की शुरुआत देव सागर मलिक के संतूर वादन से हुई जिस में इन्होने राग किरवानी में आलाप से शुरुआत की इसके उपरांत झपताल में प्रस्तुति पेश की। संतूर की मधुर स्वर लहरियों का दर्शकों ने खूब आनंद उठाया। इसके उपरांत द्रुत तीन ताल में जोरदार झाला पेश करके देबसागर ने अपनी कला का बखूबी प्रदर्शन किया और कार्यक्रम के समापन पर एक मधुर धुन से किया इनके साथ जाने माने युवा तबला वादक डॉ नितिन शर्मा ने बखूबी संगत करके समां बांधा।
संतूर वादन के उपरांत उस्ताद बाबर लतीफ़ ने मंच संभाला और पारम्परिक पेशकार से शुरुआत की। तीन ताल से सजी प्रस्तुति में बाबर लतीफ़ ने दिल्ली घराने के पुरातन कायदे प्रस्तुत किये। दिल्ली घराने के खलीफा माने जाने वाले उस्ताद गमी खान साहिब, उस्ताद सिताब खान साहिब तथा बख्शू खान साहिब की प्रसिद्द गतें पेश की। इन्होंने दिल्ली घराने की कुछ प्राचीन रेले , पलटे , टुकड़े इत्यादि पेश करके खूब तालियां बटोरी । बाबर लतीफ़ के सधे हुए वादन में उनकी विशिष्ट शैली की झलक दिखती है।कार्यक्रम में इनके साथ जाने माने सारंगी वादक राजेश कुमार ने बखूबी संगत की ।
कार्यक्रम के अंत में केन्द्र की रजिस्ट्रार डॉ.शोभा कौसर,सचिव श्री सजल कौसर और तबला गुरू पंडित सुशील जैन ने कलाकारों को पुष्प और मोमेंटो देकर सम्मानित किया ।
कल यानि इस कार्यक्रम के दूसरे और अंतिम दिन प्रतिभाशाली युवा शास्त्रीय गायिका वाणी राओ तथा सौमेन भट्टाचार्य का सितार वादन पेश किया जायेगा।