चंडीगढ़- प्राचीन कला केन्द्र द्वारा हर माह आयोजित होने वाली मासिक बैठकों की श्रृंखला की 299वीं कड़ी में दिल्ली से आई श्री बंदोपाध्याय ने अपने कत्थक नृत्य से दर्शकों को खूब आनंदित किया । पंडित जयकिशन महाराज के सानिध्य में नृत्य की शिक्षा प्राप्त कर रही श्री ने गुरू संदीप मलिक से नृत्य की प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की । इसके उपरांत पंडित जयकिशन महाराज से नृत्य की बारीकियां सीखी । श्री ने प्राचीन कला केन्द्र से भास्कर का डिप्लोमा भी प्राप्त किया है । इसके अलावा खैरागढ़ विश्वविद्यालय से भी स्नातकोत्तर तक शिक्षा ग्रहण की है । दूरदर्शन की बी ग्रेड कलाकार श्री साधना स्कूल ऑफ कत्थक की संस्थापक भी है । इन्होंने विभिन्न प्रस्तुतियों से दर्शकों के दिल में जगह बनाई है ।
आज के कार्यक्रम की शुरूआत एक खूबसूरत ध्रुपद रचना कंुजन में राचो रास जोकि चौताल पर आधारित थी, से की । इसके उपरांत श्री ने कत्थक की तकनीकी पक्ष प्रस्तुत किया । अष्टमंगल 11 मात्रा में परन,गत, उठान, चालें, आमद, त्रिपल्ली, प्रमिलू, तिहाई और चक्रदार परन प्रस्तुत करके तकनीकी पक्ष पर अपनी मजबूत पकड़ का बखूबी प्रदर्शन किया । इसके उपरांत तीन ताल पर आधारित ठुमरी जोकि राग मेघ मल्हार में निबद्ध थी,प्रस्तुत करके दर्शकों की खूब वाहवाही लूटी ।
कार्यक्रम के अंत में श्री ने तीन ताल पर आधारित रचनाएं तथा वाद्य परन,बिजली परन पेश करते हुए खूबसूरत लयकारियों से कार्यक्रम का समापन किया । इनके साथ तबले पर जानेमाने तबलावादक उस्ताद शकील अहमद खान,गायन पर अतुल देवेश,सितार पर लावण्य अबांदे तथा बोल पढंत पर जय भट्ट ने बखूबी साथ देकर कार्यक्रम को चार चांद लगा दिए ।
कार्यक्रम के अंत में केन्द्र की रजिस्ट्रार डॉ.शोभा कौसर,सचिव सजल कौसर ने कलाकारों को उतरिया और मोमेंटो देकर सम्मानित किया ।