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ऋषिकेश में गंगा तट पर लगा योग का मेला

Updated on Friday, March 07, 2014 09:59 AM IST

ऋषिकेश - नरविजय यादव - ऋषिकेश में मार्च का प्रथम सप्ताह योग के नाम रहता है। वैसे तो पूरे वर्ष ही यहां कई आश्रमों में योग की कक्षाएं चलती रहती हैं। परंतु 1-7 मार्च की अवधि में योग का विशेष आयोजन होता है। पिछले पंद्रह वर्षों से परमार्थ निकेतन में अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का आयोजन होता आ रहा है। पहले उत्तराखंड सरकार का पर्यटन विभाग इस आयोजन को आर्थिक सहयोग देता था। हालांकि पिछले वर्ष से सरकार ने अपने गंगा रिसॉर्ट में स्वयं ही इसका अलग आयोजन शुरू कर दिया। 

ऋषिकेश के सबसे बड़े आश्रम परमार्थ निकेतन का योगा फैस्टिवल सबसे बड़ा और प्रभावी है। इस बार इसमें 51 देशों के 600 से अधिक प्रतिनिधियों व जिज्ञासुओं ने हिस्सा लिया। दूसरी ओर गंगा रिसॉर्ट में प्रशिक्षुओं की संख्या तो एक हजार रही, परंतु विदेशी साधक वहां बमुश्किल 60 ही पहुंचे। एक अन्य निजी होटल ने भी अपने यहां योग सप्ताह का बैनर लगाकर भ्रम की स्थिति पैदा की है। हालांकि, आयोजन कोई भी करे, लाभ तो अंतत: मानव जाति, ऋषिकेश और उत्तराखंड को ही पहुंचना है। फिर भी ऐसे आयोजन एक साथ न होकर यदि अलग माह व तिथियों को हों तो इनकी उपयोगिता बढ़ सकती है। तब योग में रुचि रखने वाले लोगों को अवसर भी अधिक मिल सकेंगे।  

परमार्थ निकेतन के इंटरनेशनल योगा फैस्टिवल में देश-विदेश के 60 से अधिक योग व आध्यात्मिक गुरुओं और नामी-गिरामी कलाकारों ने भाग लिया। इनमें शंकराचार्य स्वामी दिव्यानंद, महाबोधि इंटरनेशनल मेडिटेशन सेंटर, लेह-लद्दाख के संस्थापक भिक्खू संघसेना, श्री मूजी, पद्मश्री भारत भूषण, जैक कॉर्नफील्ड, ट्रूडी गुडमैन, साध्वी भगवती सरस्वती, जैफ्री आर्मस्ट्रांग, हिकारू हाशिमोतो, दीपिका मेहता, लौरा प्लम्ब, किया मिलर, भारत शेट्टी, डॉ. अंजना भगत, मां ज्ञान सुवीरा, साध्वी आभा सरस्वती, गैब्रिएला बोजिक, हिकारू हाशीमोतो एवं किया मिलर आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।

योग

अपने योग प्रशिक्षण कार्यक्रम में योगीराज विश्वपाल जयंत ने पॉवर प्राणायाम सिखाया। उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से व्यक्तिगत प्राण को कॉस्मिक प्राण से जोड़ा जाता है। टोनी रोजेन ने ट्विस्टिंग पोस्चर यानी गत्यमान आसनों की विशेष कक्षा में दिनचर्या को सुचारु बनाकर मन व शरीर को सकारात्मक तरीके से संचालित करने के उपाय बताये। गत्यमान आसनों से शरीर की जड़ता, मोटापे और जकडऩ को दूर करने में सफलता मिलती है। योग थेरेपी को मानस उपचार की संज्ञा देते हुए परमार्थ निकेतन के योग थेरेपिस्ट प्रहलाद भारद्वाज ने शरीर की स्वच्छता के लिए मन की स्वच्छता को जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि योगी व्यक्ति तन व मन से स्वत: ही स्वस्थ रहता है। 

योगासन सिखाते हुए अमेरिका की गुरुमुख कौर खालसा ने कुंडलिनी योग का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया। कुंडलिनी योग से व्यक्ति की समस्त आंतरिक शक्तियां जागृत हो जाती हैं। इससे तात्कालिक निर्णय लेने की क्षमता बढ़ जाती है। मुंबई की दीपिका मेहता ने अष्टांग योग को राजयोग बताते हुए कहा कि यह आठ अंगों का प्रक्रियाबद्ध योग-संग्रह है। आठ सूत्रों में से यदि एक सूत्र का भी पालन ठीक से किया जाये तो शेष सूत्र स्वत: ही सधने लगते हैं। 

बंगलौर से आये डॉ. एच. एस. अरुण ने आयंगार योग की व्याख्या करते हुए बताया कि इससे शरीर को लचीला बनाने में सहायता मिलती है। फिर योग सीखने की गति बढ़ जाती है। पद्मश्री भारत भूषण ने सूर्य ध्यान का अभ्यास करते हुए बताया कि सूर्य इस सृष्टि के प्रत्यक्ष देवता हैं और उनकी ध्यान साधना से आत्मिक विकास के उच्च स्तरों तक पहुंचा जा सकता है। 

भरत शेट्टी, डीपीएस भारद्वाज, डॉ. अंजना भगत, साध्वी आभा सरस्वती, गैब्रिएला बोजिक, हिकारू हाशीमोतो एवं किया मिलर ने भी अपनी योग क्रियाएं सिखायीं। इटली के रॉबर्टो मिलेटी ने गतिशीलता, गतिशीलता एवं परिवर्तन, मां ज्ञान सुवीरा ने चीनी ध्यान साधना पर आधारित सी-प्लस ध्यान, एरिका कॉफमैन ने लीला सूर्य नमस्कार तथा 106 वर्षीय योग गुरु स्वामी योगानंद ने सूक्ष्म योग का अभ्यास प्रतिभागियों को कराया। 

सत्संग

परमार्थ निकेतन में योग के साथ-साथ सत्संग की भी विविध कक्षााएं चलीं। भानपुरा मध्यप्रदेश के शंकराचार्य दिव्यानंद तीर्थ ने जीवन यात्रा को गंगाजी की यात्रा से जोड़ कर योग जिज्ञासुओं को जीवन के कई सूत्र दिये। योग की मदद से जीवन को शक्तिशाली बनाने के लिए उन्होंने कहा कि जो हर कश्ती से टकराये उसे तूफान कहते हैं, जो हर तूफान से टकराये उसे इन्सान कहते हैं। उन्होंने कहा कि योग हमें संकीर्णता से निकालकर महानता के पथ पर आगे बढ़ाता है। महानता सदैव हृदय के असीम विस्तार से प्राप्त होती है। 

परमार्थ निकेतन की साध्वी भगवती सरस्वती ने दैविक संतुलन एवं दबाव प्रबंधन से आत्म प्रबंधन विषय पर योगार्थियों का गहरा मार्गदर्शन किया। अमेरिका में पिछले 40 वर्षों से योग विज्ञान पर सतत काम कर रहे जैक कॉर्नफील्ड ने कहा कि योग जागृत हृदय का विषय है।

अद्वैत दर्शन पर प्रकाश डालते हुए जमैका के धर्म गुरु मूजी एंथनी पॉल ने कहा कि हमारे हृदय की गहराइयों में कुछ खास है, जिसकी वजह से हम ऋषिकेश की इस पवित्र धरती की ओर खिंचे चले आये हैं। इस बात की अनुभूति ही की जा सकती है। यह किसी किताब में नहीं मिलेगी। 

गंगा योग की संस्थापक लौरा प्लम्ब ने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती के कथनों का उल्लेख करते हुए कहा कि गंगा सदैव देती है और देकर भूल जाती है। हमें भी गंगा की तरह बहते रहना चाहिए। 

ब्रेक द नॉम्र्स अर्थात मान्यताओं को मिटाओ के संस्थापक चंद्रेश भारद्वाज ने कहा कि आध्यात्मिकता को पता है कि आपका लगाव महज भ्रम है। ज्ञान इस लगाव से मुक्ति दिलाता है। स्वामी नारायण गुरुकुल अहमदाबाद के प्रमुख स्वामी माधवप्रिय दास ने कहा कि प्रेम सबसे बड़ा योग है। इस्कॉन मंदिर मुंबई के प्रमुख राधानाथ स्वामी ने कहा कि इस संसार में कुछ देकर ही कुछ पाया जा सकता है।

कला-संस्कृति

शाम को गंगा तट पर होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में देश-विदेश के अनेक कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियां दीं। अमेरिका के आनंदा जार्ज, वैयासाकी दास व मैक्सिको के किशोरी ने कीर्तन पेश किया। दक्षिण भारत के विश्वप्रसिद्ध ड्रम वादक शिवमनी ने सूटकेस, प्लास्टिक बोतल और पानी से संगीत पैदा करके हैरान कर दिया। उनके कार्यक्रम में दर्शक लगातार नाचते-झूमते रहे। यह अद्भुत दृश्य था। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री निशंक की बेटी अरुषि पोखरियाल ने कथक की शानदार प्रस्तुति दी। उनका कृष्ण-राधा होली नृत्य आकर्षक था। शर्मिला भरतरी ने ओडिसी नृत्य पेश किया। 

अभिव्यक्ति

विदेशों से ऋषिकेश पहुंचे कई योग जिज्ञासुओं ने अपने अनुभव सांझा किये। बेरगेमो की शैच फ्रांचीनिया ने कहा कि वे प्रतिवर्ष अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्वव में भाग लेने के लिए यहां आते हैं। उन्हें इससे आत्मज्ञान और ऊर्जा प्राप्त होती है। जापान की शिसाको कुरिहारा ने बताया कि योग शिक्षक बनने के लिए उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी। सिडनी की एमिली मायसन ने कहा कि उन्हें इस महोत्सव में दुनिया भर के अन्य योग प्रेमियों से मिलने का मौका मिलता है। भारतीय योग विद्या सीखने में उनकी खासी दिलचस्पी है।

फिनलैंड की टी टामीनेन ने बताया कि ऋषिकेश में मिल रही योग शिक्षा गंभीर किस्म की है और यहां के लोग अति-मिलनसार हैं। यूनान की एलिजाबेथ एंड्रीपोलो ने बताया कि उन्हें यहां भारतीय एवं पाश्चात्य मूल का योग सीखने को मिला। यह सब अनुभव जीवन से भरपूर है। इजराइल के शुलामिट सलेम का कहना था कि मुझे पता था कि योग में महानता होगी, किंतु यहां अध्यात्म का लाभ भी मिला। जर्मनी की एलिस बीक ने कहा कि वे पिछले छह वर्षों से इस महोत्सव में योग सीखने आ रहे हैं, और हर बार उन्हें यहां कुछ नया मिलता है। 

 

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