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5 जून को चंद्र ग्रहण - मदन गुप्ता सपाटू

Updated on Thursday, June 04, 2020 12:36 PM IST

भारत के बहुत से पंचागांे में 5 जून के इस चंद्र ग्रहण का उल्लेख ही नहीं किया गया है क्योंकि यह उपच्छाया ग्रहण होगा और अफ्रीका, आस्ट्र्ेलिया , युरोप में ही अधिक दिखेगा। इसी लिए ज्योतिषियों के एक वर्ग ने सूतक काल को विशेष महत्व नहीं दिया है और न ही इसके प्रभाव को और किसी खास सावधानी बरतने को। चूंकि ग्रहण रात में है, लॉकडाउन के कारण मंदिर अभी खुले नहीं हैं, अतः यह ग्रहण सोते समय ही निकल जाएगा। अतः भारत के वासियों को अधिक चिंता की आवश्यकता नहीं है। फिर भी इस ग्रहण की हम पूरी जानकारी दे रहे हैं।

साल का दूसरा चंद्र ग्रहण 5 जून 2020 को लगने वाला है. इससे पहले जनवरी में साल का पहला चंद्रग्रहण पड़ा था. जून का माह खगोलीय घटनाओं के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण है. इस माह दो ग्रहण लग रहे हैं. . खगोलीय घटनाओं के अनुसार इस वर्ष यानि वर्ष 2020 में 6 ग्रहण लगेंगे. पहला ग्रहण 10 जनवरी को लग चुका है और दूसरा 5 जून को लगने जा रहा है. इसके बाद इसी माह यानि 21 जून को ही तीसरा ग्रहण जो सूर्य ग्रहण है लगेगा. जून का माह बहुत ही विशेष है इस माह में दो ग्रहण लग रहे हैं. खास बात ये हैं कि चंद्र और सूर्य ग्रहण दोनों ही इस माह लग रहे हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ये ग्रहण देश और दुनिया में उथल पुथल की स्थिति बना सकते हैं.
इस समय 6 ग्रह वक्री चल रहे हैं. राहु- केतु के अलावा इस समय शनि, बृहस्पति, शुक्र और प्लूटो ये चारों ग्रह भी वक्री चल रहे हैं. ये चंद्र ग्रहण वृश्चिक राशि पर पड़ने वाला है.

भारतीय समयानुसार यह रात 11 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर अगली तारीख 6 जून की रात 2 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। 12 बजकर54 मिनट पर पूर्ण चंद्रग्रहण होगा। ज्योतिषीय गणना के अनुसार यह ग्रहण वृश्चिक राशि और ज्येष्ठा नक्षत्र में लगेगा।यह चंद्रग्रहण उपछाया ग्रहण होगा. ग्रहण 5 जून की रात 11 बजकर 15 मिनट से लगना आरंभ हो जाएगा जो अगले दिन रात के 2 बजकर 34 मिनट तक रहेगा. ग्रहण के समय चंद्रमा वृश्चिक राशि में भ्रमण करेगा. उपछाया में पूर्ण चंद्र ग्रहण नहीं पड़ता इसमें चंद्रमा सिर्फ धुंधला सा दिखाई पड़ता है इस कारण से इसे चंद्र मालिन्य भी कहते हैं. इस वजह से इस खगोलीय घटना को चंद्रग्रहण की जगह उपछाया चंद्रग्रहण कहते हैं.

चंद्र ग्रहण का समय

चंद्र ग्रहण का समय शुरू – 5 जून को रात को 11.15

परमग्रास चन्द्र ग्रहण – 6 जून को दिन के 12.54 बजे

उपछाया चंद्र ग्रहण से अन्तिम स्पर्श – 2.34 बजे

चंद्र ग्रहण का कुल समय – 3 घंटे और 18 मिनट

सूतक काल क्या होता है

सूतक का मतलब है ऐसा समय जब प्रकृति ज्यादा संवेदनशील होती है , ऐसे में किसी अनहोनी के होने की संभावना ज्यादा होती है. सूतक चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण दोनों के समय लगता है. ऐसे समय में सावधान रहना चाहिए और ईश्वर का ध्यान करना चाहिए. सूतक काल में हमें कुछ खास बातों का ध्यान रखाना चाहिए. किसी बच्चे के जन्म लेने के बाद भी उस घर के सदस्यों को सूतक की स्थिति में बिताने होते हैं. सूतक काल में किसी भी तरह का कोई शुभ काम नहीं किया जाता. यहां तक की कई मंदिरों के कपाट भी सूतक के दौरान बंद कर दिये जाते हैं.

उपच्छाया चंद्र ग्रहण होने के कारण सूतक काल का प्रभाव कम रहेगा.
5 जून को लगने जा रहे चंद्र ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं है. उपच्छाया चंद्र ग्रहण होने के कारण इसमे सूतक काल नहीं होगा.

गर्भवती महिलाएं रखें ख्याल

गर्भवती महिलाओं को चंद्र ग्रहण के समय विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसी महिलाओं को चंद्र ग्रहण नहीं देखना चाहिए. चंद्र ग्रहण देखने से शिशु पर दुष्प्रभाव पड़ सकते हैं. गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के समय कैंची, चाकू आदि से कोई वस्तु नहीं काटनी चाहिए.

सत्यनारायण भगवान की कथा का पाठ करें

हर माह पूर्णिमा तिथि पर भगवान सत्यनारायण की कथा करने की परंपरा पुराने समय से चली आ रही है। भगवान सत्यनारायण विष्णुजी का ही एक स्वरूप है। इस स्वरूप का संदेश यह है कि हमें कभी भी झूठ नहीं बोलना चाहिए, हमेश सत्य बोलें। जो लोग असत्य बोलते हैं, उनके जीवन में परेशानियां आती हैं।

विष्णुजी और महालक्ष्मी का अभिषेक करें

पूर्णिमा पर भगवान विष्णु के साथ ही देवी लक्ष्मी का अभिषेक करें। इसके लिए दक्षिणावर्ती शंख में केसर मिश्रित दूध भरें और ये दूध भगवान को अर्पित करें।

मंत्रों का जाप करें

पूर्णिमा पर अपने इष्टदेव के मंत्रों का जाप करना चाहिए। विष्णुजी मंत्र ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय, शिव मंत्र ऊँ नम: शिवाय, गणेश मंत्र श्री गणेशाय नम:, सूर्य मंत्र ऊँ सूर्याय नम:, देवी मंत्र दुं दुर्गाय नम:, हनुमान मंत्र ऊँ रामदूताय नम:, श्रीकृष्ण के मंत्र कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जाप कर सकते हैं।

जरूरतमंद लोगों को दान करें

इस दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार जरूरतमंद लोगों को दान करें। दान में धन और अनाज दे सकते हैं। 

इन कामों को भूलकर भी ना करें

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चंद्र ग्रहण के दिन बहुत से काम करना मना है. यदि कोई व्यक्ति उन नियमों को तोड़ता है, तो उससे उसका जीवन प्रभावित होता. आइए जानते हैं कि चंद्र ग्रहण के दिन क्या करें और क्या न करें.

– धार्मिक शास्त्रों के अनुसार ग्रहण काल में भगवान की मूर्ति स्पर्श नहीं करनी चाहिए.

– सूतक काल ग्रहण लगने पहले ही शुरू हो जाता है. इस समय खाने पीने की मनाही होती है.

– सूतक काल के समय शुभ काम और पूजा पाठ नहीं की जाती है. भगवान की मूर्ति को स्पर्श करने की भी मनाही होती है.

– ग्रहण के दौरान बाल और नाखून काटने से बचना चाहिए. इसके अलावा न तो कुछ खाना चाहिए और न ही खाना बनाना चाहिए.

जानें क्या होगा आपकी राशि पर असर वृश्चिक राशि के जातकों को रहना होगा सावधान 

मेष- परिवार के सदस्यों की सेहत पर ध्यान दें. मन में कई तरह के तनाव आ सकते हैं लेकिन आपको वाद-विवाद से दूर रहना है. ग्रहण काल में मंत्र का जाप कर अपने राशि के स्वामी मंगल को प्रबल करें. ग्रहण काल खत्म होने के बाद किसी गरीब व्यक्ति को गुड़ और चावल का दान करें.

वृषभ- इस ग्रहण का असर आपके रिश्तों पर पड़ेगा और आपका कोई संबंध अचानक खत्म हो सकता है. किसी के साथ व्यापार में साझेदारी खत्म हो सकती है पत्नी के सेहत का विशेष ध्यान रखें. ग्रहणकाल में शुक्र के मंत्रों का जाप करें. ग्रहणकाल के बाद किसी गरीब व्यक्ति को दूध का दान करें.

मिथुन- किसी महिला से इस कदर अनबन हो सकती है. मानसिक तनाव से गुजर सकते हैं महिलाओं को भी अपनी सेहत पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. कर्ज का कोई मामला परेशान कर सकता है. बुध के मंत्रों का जाप करें. ग्रहणकाल खत्म होने पर किसी निर्धन को मीठी खीर दान में दें.

कर्क- रिश्ते, शिक्षा और संतान इन तीनों तरफ आपको सावधान रहने की जरूरत है. गर्भवती महिलाओं को अपना खास ख्याल रखने की जरूरत है. रिश्तों में गलतफहमी से बच कर रहने की जरूरत होगी. आपके लिए गायत्री मंत्र बहुत लाभकारी रहेगा. ग्रहण के 15 दिन के आस-पास अपनी माता को चांदी का ग्लास दें.

सिंह- इस ग्रहणकाल के दौरान आपकी माता को तनाव हो सकता है, उनकी सेहत पर ध्यान दें. घर में तनाव हो सकता है लेकिन आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है. ग्रहणकाल में सूर्य और चंद्रमा के मंत्रों का जाप करना है. ग्रहण के बाद गुड़ और चीनी दोनों का दान करें.

कन्या- इस दौरान आत्मविश्वास में कमी आएगी और आपकी किसी के साथ दोस्ती खत्म हो सकती है. पार्टनशिप में लाभ की स्थिति भी बिगड़ सकती है. घर में बड़े और छोटे दोनों के सेहत का ध्यान रखें. ग्रहणकाल में बुध के मंत्रों का जाप करें. ग्रहण खत्म होने के बाद किसी गरीब व्यक्ति को हरी सब्जी का दान करें.

तुला- इस ग्रहणकाल के दौरान आपको अपनी वाणी पर बहुत ध्यान देना पड़ेगा बोलने से पहले सोचें. मुंह, दांत और आंखों से जुड़ी कोई समस्या हो सकती है. तनाव भी बढ़ सकता है. ग्रहणकाल में शुक्र के मंत्रों का जाप करें. ग्रहणकाल खत्म होने के बाद किसी निर्धन व्यक्ति को घी का दान करें.

वृश्चिक- चंद्र ग्रहण आपकी ही राशि में पड़ रहा है. इसकी वजह से मानसिक तनाव हो सकता है. इस दौरान आपका आध्यात्म की तरफ झुकाव होगा और आपको इससे काफी मदद मिलेगी. गायत्री मंत्र का जाप करें. ग्रहणकाल खत्म होने के बाद एक तांबे के लोटे में दूध भरकर शिव मंदिर के सामने रख आएं.

धनु- इस दौरान आपके निर्णय लेने की क्षमता बहुत खराब हो सकती है. किसी भी तरह का नकारात्मक विचार ना लाएं. आपका झुकाव आध्यात्म की तरफ होगा. आपको बृहस्पति मंत्र का जाप करने की जरूरत है. किसी निर्धन व्यक्ति को एक पैकेट हल्दी का दान करें.

मकर- जीवनसाथी से तकरार और सहयोग में कमी आ सकती है. एक रिश्ते पर ध्यान देने की बजाय सारे रिश्तों को प्राथमिकता दें. शनि के मंत्रों का जाप करें. ग्रहण खत्म होने पर एक पैकेट दूध और सरसों का तेल गरीब व्यक्ति को दान करें.

कुंभ- पिता के सेहत को लेकर सावधान रहने की जरूरत है. अपनी सेहत पर भी ध्यान दें. शनि के मंत्रों का जाप करें. ग्रहणकाल खत्म होने के बाद सरसों के तेल या पांच सफेद मिठाई का दान करें.

मीन- राशि वालों को इस दौरान भाग्य का बिल्कुल साथ नहीं मिलेगा। कड़ी मेहनत के बाद भी सफलता नहीं मिलेगी। दुर्घटना होने की संभावना है। संतान की सेहत का खास ख्याल रखें। गेंहू का दान करने से फायदा होगा।

मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद्, चंडीगढ़,9815619620

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