वेब सीरीज आम आदमी के बेहद करीब
महिलाओं के लिए पीरियड लीव के का समर्थन नहीं
पिछले चार दशक से छोटे व बड़े पर्दे पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रही बालीवुड अभिनेत्री भाग्यश्री ऐसी कलाकार हैं जिन्होंने टॉप और बॉटम दोनों को बेहद करीब से देखा है। फिल्मी दुनिया, परिवार और अपने कारोबार में संतुलन बनाए रखने वाली भाग्य श्री बुधवार को कुरूक्षेत्र में आयोजित हो रहे गीता जयंती समारोह में भाग लेने पहुंची। वीरवार को मुंबई रवाना होने से पहले उन्होंने अपने 40 साल के फिल्मी सफर के बारे में विस्तार से बातचीत की।
आपने उस जमाने में टीवी सीरियल में काम किया है जब सिनेमा का मतलब दूरदर्शन होता था। ये वो दौर था जब लोग टीवी पर खबरें पढऩे वालों को ही स्टार मानते थे। एक आज का दौर है आज आप दूसरी पारी में सक्रिय हैं। क्या फर्क महसूस करती हैं।
जब मेरी टीवी के माध्यम से शुरूआत हुई। अमोल पालेकर की बेटी और मैं मित्र थे। मेरी इच्छा नहीं थी कि मैं फिल्मी दुनिया में कदम रखूं। पढ़ाई के लिए विदेश जाना चाहती थी। अमोल जी ने मेरी सबसे छोटी बहन पूर्णिमा को साइन किया। एक लडक़ी का उसमें किरदार था। वह लडक़ी अपने मित्र के साथ भाग गई और अगले दिन सुबह शूटिंग थी। कच्ची धूप के लिए पहली बार सैट लगाया गया था। रात के समय अमोल अंकल आए कि मदद चाहिए।
मैं हड़बड़ा गई। मुझे कोई जानकारी तक नहीं थी। मेरी स्कूल की छुट्टियां चल रही थी। उनके जाने के बाद मेरे पिता ने मुझे समझाया, कि सैट पर बहुत कुछ सीखने को होता है हीरो या हीरोइन के अलावा। आज भी मैं मानती हूं कि फिल्म की कामयाबी में सभी का उतना हाथ होता है जितना पर्दे पर दिखने वाले किरदार का होता है। लेखक, मेकअप मैन, कैमरा मैन, निदेशक सभी की मेहनत से ही कोई फिल्म हिट होती है। दूसरी पारी की जहां तक बात है तो अब ओटीटी की दुनिया ने सब कुछ बदल दिया है। अब नई नई कहानियां बन रही हैं। जिसमें उम्र की कोई सीमा नहीं है। वेब सीरीज में बहुत अच्छी कहानियां आ रही है जिससे हर कोई रीलेट कर पाता है।
आप 1987 में पर्दे पर आए टीवी सीरियल कच्ची धूप से। उसके दो साल बाद ही ब्लाक बस्टर मैने प्यार किया आई। इस फिल्म ने बहुत से अवार्ड भी जीते लेकिन आप बड़े पर्दे से दूर होती चली गई। जो यह एक लंबा गैप रहा है। आपको कहीं अफसोस नहीं होता। आपके साथ उस दौर में आए कलाकार काफी आगे तक चले गए।
आज भी मैं जहां जाती हूं तो मुझे हर वर्ग के लोगों का प्यार मिलता है। मुझे कभी नहीं लगता है कि मेरा लंबा गैप पड़ा है। 34 साल का लंबा गैप आया है। उस समय जो सुमन का किरदार पर्दे पर दिखाई दिया उसे लोगों ने अपने जीवन में ढालना शुरू कर दिया था। उस दौर का नौजवान अपनी प्रेमिका में, सास अपनी बहु में और पति अपनी पत्नी में सुमन को देखने लगा गया था।
आपने इसी साल सलमान खान के साथ किसी का भाई किसी की जान में काम किया। करीब 34 साल बाद सलमान के साथ आई। यह अनुभव कैसा रहा। और पहले व अब के सलमान में क्या फर्क महसूस किया।
सलमान खान बहुत शांत हो गए हैं। संजीदगी आ गई है उनके अंदर। 34 साल पहले का सलमान खान नटखट था। आज का सलमान बेहद गंभीर है। उनके जीवन में एक ठहराव आ गया है जो उनके लिए अच्छा है। यह बदलाव सलमान में आया है लेकिन हमारा उनके साथ जो उस समय रिश्ता था वही आज भी है।
आप एक अभिनेत्री भी हैं, सरकार की ब्रांड एंबेसडर भी रही हैं। एक कुशल ग्रहणी भी रही हैं। अब कुछ साल के अंतराल के बाद आपकी व्यस्तता भी बढ़ गई है। ऐसे में आप बैलेंस कैसे करती हैं।
सबसे अहम बात है कि आपकी प्राथमिकता होती है। आपके पास 24 घंटे होते हंै तो उसमें जो प्राथमिकता होती है उसे करते हैं। मैं एक लिस्ट बनाती हूं रोजाना और प्राथमिकता तय होती है। उसे कंपलीट किया जाता है। जो रह जाता है उसे अगली बार पूरा करने का प्रयास किया जाता है। काम के अलावा परिवार में कनेक्टिविटी रखती हूं। जब आदमी काम में व्यस्त हो जाता है तो यह चीज छूट जाती है। परिवार से अपनों से दूर होते रहते हैं उसे साथ लेकर चलना जरूरी है।
अब आपकी फ्यूचर प्लान क्या है। नया साल आने जा रहा है। तो दर्शक आपको नए साल में किस नए अवतार में देखेंगे।
अभी हाल ही में मेरी फिल्म आई है सजनी शिंदे का वायरल वीडियो। इसे बहुत पसंद किया गया है। इसमें अगल किस्म के रोल में दिखाई दी। आजकल सब लोग सोशल मीडिया पर हैं। सोशल मीडिया का आम लोगों के जीवन में क्या प्रभाव होता है यह दिखाया है। वेब सीरीज भी आने वाली है। उसकी शूटिंग जारी है।
कुरुक्षेत्र जहां महिला के मान सम्मान के लिए युद्ध हुआ , बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ व सेल्फ़ी विद डॉटर इंटरनेशनल अभियान शुरू हुए जहां की धरती की लड़कियों के लिए आपका क्या संदेश है?
हरियाणा की धरती से शुरू हुए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और सेल्फी विद डॉटर अन्तर्राष्ट्रीय अभियान का असर पूरे देश में बहुत सकारात्मक दिखाई दे रहा है । ये मत भूलना कि हम सब में शक्ति है। औरत में जो नरमी व केयरिंग नेचर होती है उसके साथ-साथ उतनी ही शक्ति होती है।
शास्त्रों में औरत का दर्जा बहुत उपर माना जाता है। जो और प्यार दे सकती है, परिवार को भी संभाल सकती है। औरत घर की नींव होती है ।
आप पेड पीरियड लीव के मुद्दे पर क्या कहना चाहेगी ?
अभी हाल के दिनों में पेड़ पीरियड लीव का विषय काफ़ी संसद से लेकर आमजन में उठ रहा है तो मैं इस विषय पर सहमत नहीं हंू। आज के समय में महिला को कार्य करते हुए पेड पीरियड लीव दी जाए यह सही नहीं है। पीरियड हमारी शक्ति है इस पर हमें किसी प्रकार की दया नहीं चाहिए,यह हमारे लिए बाधा नहीं है , बल्कि हमें यह चाहिए कि इस विषय पर जागरूकता बढ़े , पुरूष समाज को यह विषय समझ आए , इस पर खुलकर बात हो सके और इसके प्रति संकीर्णता समाप्त हो सके ।