नयी दिल्ली - सरकार ने पति या ससुराल वालों के हाथों महिला के उत्पीडऩ के मामलों को शमनीय अपराध बनाने का मन बना लिया है। यानी दोनों पक्ष आपस में समझौता कर सकेंगे। अभी यह अपराध गैर-जमानती और गैर-शमनीय है और केस फाइल हो जाने के बाद पति-पत्नी किसी तरह का समझौता नहीं कर सकते।
गृह राज्यमंत्री किरेन रिजीजू ने राज्यसभा में कहा कि गृह मंत्रालय इस मामले में कानून मंत्रालय की राय का इंतजार कर रहा है। रिजीजू ने राज्यसभा में कहा कि यह परिवार से जुड़ा मसला है और इसे परिवार के अंदर भी सुलझाया जा सकता है। कानून में इसके लिए प्रावधान होना चाहिए। इसके लिए हमने कानून मंत्रालय से राय मांगी है।
जब कुछ महिला सांसदों ने यह कहते हुए विरोध किया कि उत्पीडऩ की शिकार महिलाओं के पास कोई चारा नहीं होता, तो रिजीजू ने कहा कि सेक्शन 498ए बहुत ही कठोर है। उन्होंने कहा कि यह इतना कठोर है कि इसका दुरुपयोग हो रहा है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि उत्पीडऩ की शिकार हुई महिलाओं की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।